For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झाड़ू -पोंछा कर रही

अन्तर में अनुराग

स्वस्थ रहें सब, उल्लसित

हृदय भैरवी राग

दाल, सब्जियाँ पक रहीं

उफन रही है प्रीत

क्यों ना खा सब तृप्त हों?

जब पवित्र मन मीत

चकले पर  रोटी बिली

तवे पकाया प्यार

उमग खिलाती प्रेम से 

गृहणी नेह सम्हार

बरतन हैं जब मँज रहे

सृजन हो रहा गीत

ताल बद्ध , लय बद्ध हो

बजता नव संगीत

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Usha Awasthi on August 25, 2021 at 3:54pm

आदरणीय सौरभ पान्डेय जी, हार्दिक धन्यवाद आपका।आपको रचना सार्थक  लगी , जानकर खुशी हुई ।आपके सुझाव का ध्यान रक्खूँगी।

सादर प्रणाम


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2021 at 3:07pm

वाह ! .. बहुत् ही सार्थक दोहे हुए हैं. भावपक्ष अत्यंत उदार है. 

शैल्पिक रूप से उमग प्रेम से खिलाती   को व्यवस्थित कर लें, तो आपकी प्रस्तुति दोहा छंद को प्रासंगिक आयाम देती हुई है, आदरणीया ऊषा अवस्थी जी. 

हार्दिक बधाइयाँ 

शुभ-शुभ

Comment by Usha Awasthi on August 25, 2021 at 10:57am

आ0 लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी ,सादर प्रणाम।

आपके कथन को मैं समझ गई। आपका और समर कबीर जी का बहुत शुक्रिया।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 25, 2021 at 5:08am

आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। दोहों का प्रयास अच्छा है । हार्दिक बधाई। आ. भाई समर जी द्वारा बताये चरण को यूँ करके सुधारा जा सकता है - उमग खिलाती प्रेम से।

Comment by Usha Awasthi on August 24, 2021 at 5:04pm

आदरणीय समर कबीर साहेब, आपकी प्रतिक्रिया पाकर खुशी हुई ।

सच कहूँ तो मैंने यह सोच कर लिखा ही नहीं कि मैं किस विधा में लिख रही हूँ। संगीत की थोड़ी - बहुत जानकारी के अनुसार जब मुझे लगता है कि यह लय में आ रही है,मैं उसे लिख लेती हूँ। जब मैं उसे बोलूँगी तो वह उचित मात्राओं में ही रहेगी ।जब कुछ भाव उठते हैं , ऐसा ही करती हूँ।किन्तु आपने इस ओर मेरा ध्यान दिलाया , हार्दिक आभार आपका। कोशिश करूँगी।

Comment by Samar kabeer on August 24, 2021 at 3:24pm

मुहतरमा ऊषा अवस्थी जी आदाब, दोहों का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

एक निवेदन ये है कि रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें तो नये लिखने वालों को टिप्पणी करने में आसानी होगी ।

'उमग प्रेम से खिलाती

गृहणी नेह सम्हार'

इस पंक्ति के विषम चरण का अंत 212 पर नहीं है,देख लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service