For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोनी अब क्या करेगी? नेवला तो उसके सांपों को खाता जा रहा है।' चुनचुन ने मुनमुन चिड़िया से पूछा।
' खायेगा ही,खाता जाएगा।' मुनमुन बोली।
' फिर? अब तो सोनी के द्वारा पंछियों के नुचवाये पंख भी उगने लगे हैं।' चुन चुन बोली।
' उगेंगे। नई पौध भी पनप रही है,लाल टेस अंखुओं वाली।' मुनमुन बोली।
' वो तो है,मुनमुन।पर इस सोनी का क्या करें?आए दिन इसके हंगामे बढ़ रहे हैं;कभी हंसों पर वार,तो कभी कौवों पर।बस गिरगिट पिछलग्गू बने हुए हैं।' चुन चुन चिढ़ कर बोली।
' लंबी पारी है, चुन चुन।कुछ भी हो सकता है।'
' मसलन?' चुन चुन चिंचिआई।
' उसे हार नहीं हज़म होती। कुछ भी कर सकती है।' मुन मुन मद्धिम आवाज में फुसफुसाई।
' कुछ भी,मतलब?'
' मतलब कुर्बानी, जान की।' मुनमुन बोली।
' किसकी,कैसी....कुर्बानी?' चुन चुन चकराने लगी।
' देखा है न कि कैसे कभी उसकी मां शहीद की गई,तो कभी उसका चिड़ा।पूरी चिड़िया - मंडली उसके पीछे खड़ी मिली।वह मनमानी करती रही,लूट मची रही।' मुनमुन उसे नेपथ्य में ले गई।
' हां मुनमुन,याद है। याद हैं वो काले दिन,सुलगती रातें।बस्तियां जली थीं तब।'
' ....और सोनी सिंहासन को मुट्ठी में करने में सफल रही थी।' मुनमुन ने कहा।
' हां री मुन्नी, हां!' चुन चुन अब चौंक गई।
' अब बलि का बकरा खोजा जा रहा है।'
' कौन होगा? कोई नजदीकी ही न?'
' कुल दीपक को तो बचाना ही होगा न,वरना गद्दी होगी किसकी?' मुनमुन राजभरे लहजे में बुदबुदाई।
" मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 277

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on July 21, 2020 at 8:20am

आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 20, 2020 at 5:48pm

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन । उत्तम कथा हुई है । हार्दिक बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service