For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुन  रहे  हैं  कि  वो  इक ऐसी दवाई देगा
जिससे  अंधे  को भी रातों में दिखाई देगा

प्यार  से  उसने  बुलाया है मुझे मक़्तल में
जानता हूँ   मैं जो  दावत   में  क़साई देगा

ऐसे चिल्लाओ कि आवाज़ वहाँ तक जाए
एक  दिन  तो  सभी  बहरों को सुनाई देगा

पास  रहता  हूँ  तो मुंह फेर के चल देता है
दूर  जाऊँगा  तो   आने   की   दुहाई  देगा

क़ैदख़ाने   में  उसी  ने  ही रखा सालों तक
जिसने   उम्मीद  जताई   थी   रिहाई  देगा

घुप   अंधेरे  से  किसी रोज़ निकल आयेंगे
हाथ  को  हाथ  हमें  जब   भी सुझाई देगा

स्याह  बालों  को  ये  हर  रोज़ सफ़ेदी देगा
वक़्त  गुज़रेगा  तो  हर  चेहरे  पे झाई देगा

* मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 405

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on April 2, 2020 at 7:13pm

//दे गया सिर्फ़ ये बालों को सफ़ेदी मेरे
वक़्त ने मुझको नवाज़ा है तुम्हें भी देगा//

तक़ाबुल-ए-रदीफ़ तो निकल गया,क़ाफ़िये और भाव पर विचार करें ।

Comment by सालिक गणवीर on April 2, 2020 at 6:40pm
आदरणीय,
पिछले कमेंट आपका नाम ग़लत टाइप हो गया है. माफी चाहूँगा.
Comment by सालिक गणवीर on April 2, 2020 at 6:28pm
आदरणीय समर करीब साहब
तक़ाबुले-रदीफ़ दोष को दुरुस्त करने की कोशिश की है. आपकी नज़रे-इनायत की दरकार है.
दे गया सिर्फ़ ये बालों को सफ़ेदी मेरे
वक़्त ने मुझको नवाज़ा है तुम्हें भी देगा

सालिक गणवीर
Comment by सालिक गणवीर on April 2, 2020 at 4:38pm
समीर साहब
बहुत शुक्रिया जनाब.आपसे ऐसे ही मार्ग दर्शन की उम्मीद थी.मिसरे में क्या की जगह ''जो'' करना ही उचित होगा.मकता पुनः लिखने की कोशिश करता हूँ,या फिर इसे हटा ही देता हूँ.
Comment by Samar kabeer on April 2, 2020 at 3:40pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'जानता हूँ मैं क्या दावत में क़साई देगा'

इस मिसरे में 'क्या' शब्द में मात्रा पतन उचित नहीं,'क्या' की जगह "जो" कर सकते हैं ।

'स्याह बालों को ये हर रोज़ सफ़ेदी देगा
वक़्त गुज़रेगा तो हर चेहरे पे झाई देगा'

इस शैर का भाव स्पष्ट नहीं,तक़ाबुल-ए-रदीफ़ भी है,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service