For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो एक नींद ही तो थी

वो एक नींद ही तो थी
कि जिसमे
मै जाग रहा था /
सपने
तितलियों से कोमल
हथेलिओं की कोटर में
छुपा कर
चला था मैं
कि
बिखेर दूंगा इन रंगों को
चुपचाप
आसमान के कोने कोने में,
और चल दूंगा
अपने झोले में
कुछ मुस्कुराहटें
कुछ खुशियां
कुछ उम्मीदें
कुछ शरारतें लेकर
एक खुशनुमा सफर पर
एक बंजारे सा भटकता हुआ
गांव - गांव
शहर - शहर
कि
शायद मेरा होना
किसी के होठों की मुस्कुराहट
किसी के आँखों की उम्मीद
किसी के चेहरे की शरारत बन कर
आसमान के
कोने कोने में फैले
रंगों को
और चटक और खुशनुमा कर दे /

वो सपने तितलियों से
पंख थे उनके
न जाने उड़ गए वो
कब निकल कर
उड़ गए वो
हथेलियों की कोटर से
न जाने कितनी दूर भागा
उनके पीछे
मगर पकड़ ना सका /

लगा कि जाग गया हूँ मै
कि
कोई तितली नहीं, रंग नहीं
आसमान कसैला सा ,
की मेरी आँखों में खुद उम्मीद नहीं
होठों पर मुस्कान नहीं
चेहरे पर शरारत भी नहीं
खाली झोले में
बंजारे के
ना उम्मीदें
ना मुस्कान
ना सपने
ना शरारत कोई /

लगा कि नींद में हूँ मैं
कि तभी
देवदूत कोई
मेरे हाथों में
एक मुस्कान थमा जाता है /

क्या करूँ ??
क्या करूँ ?
उस मुस्कान को
अपने होठों पर चस्पा कर लूँ ,
या कि शायद
उसे ज्यादा ही जरुरत हो
वो शख्स
जो अभी अभी पास से
गुजरा है मेरे ,
उतरा चेहरा
और खुश्क होंठ लिए /

एक पल ठिठका मैँ
फिर वो मुस्कान मैंने
उसके खुश्क होठों पर
चस्पा कर दी /

वो मुस्कुरा उठा
और फिर जाने कैसे
वो मुस्कान बैठ गई
मेरे होठों पर आकर /

मैं मुस्कुराने लगा
हंसने लगा
और फिर हम मिल कर
खिलखिलाने लगे
और मुस्कानो को
हर होंठ पर सजाने लगे,
उम्मीदों से हर चेहरे को
निखारने लगे ,
और फिर हम सब मिल कर
हंसने लगे, खिलखिलाने लगे, गुनगुनाने लगे /

लगा कि जाग गया हूँ मैं
कि तितलियों के रंग
बिखरे हैं
आसमान के कोने कोने में,
और पाँव बेताब हैं
एक खुशनुमा सफर के लिए /

ये एक नींद ही तो है
कि जिसमे
मैं जाग रहा हूँ |

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 11, 2020 at 11:32am

आ. अरविंद जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by ARVIND BHATNAGAR on February 10, 2020 at 5:43pm

धन्यवाद , महोदय

Comment by Samar kabeer on February 8, 2020 at 3:03pm

जनाब अरविन्द भटनागर जी आदाब, अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति  पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on February 3, 2020 at 4:17pm

आदरणीय अरविंद भटनागर जी बहुत सुंदर। हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
11 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
12 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service