For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास्य घनाक्षरी - 1 / गणेश जी बागी

(1)

कुत्ते संग सोते हुए, फोटो एक खिचवा के,
फेस बुक पे झट से, चेंप दी मैडम जी |

लाइक और कमेंट बीच एक श्रीमान ने,
लिख दिया काश होता, कुत्ता मैं मैडम जी |

उल्टा पुल्टा सोचो नहीं, कुछ भी यूँ लिखो नहीं,
ये तो मेरा टॉमी बेटा, बोल दी मैडम जी |

मौका देख चौका मारा, लगे हाथ पूछ डाला,
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||

(2)

चौकस चौबंद सदा, रहूँ मैं संभल कर,
जबसे पी हिस्सा हुए, ओ बी ओ के दल के ।

गुमसुम खोये-खोये, करे धरें कुछ न ये,
सदा पीछे पड़े रहें, कविता-ग़ज़ल के ।

बच्चे का तो पोटी किया, चड्ढी भी न बदलें जो,
चीख रहें रख दूँ मैं, दुनिया बदल के ।

सुधरी न लत यदि, प्राण दूँगी मार कूदी,
फिर सिर धुनियेगा, खाली हाथ मलके ||

 

 

पिछला पोस्ट : लघुकथा : झूठ / गणेश जी बागी

Views: 2248

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2013 at 8:40pm

हा हा हा हा.. .. दूसरी घनाक्षरी को विशिष्ट रूप देना था  ? यह कई-कई घरों की एक चुभती हुई सचाई है. हा हा हा.....

पदों के सभी चरण मिल कर जो शब्द चित्र खींच रहे हैं वह ग्लनि भाव का कारण बन रहे हैं .. :-)))))

वैसे, यह जानना रोचक होगा कि ’आदरणीया सक्रिय सदस्यो” के घर-परिवारों की दशा क्या है..  :-))))))))

बधाई गणेश भाई, इस हास्य किन्तु संवेदनशील रचना के लिए.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:59pm

बहुत बहुत आभार अनुज अरुण शर्मा अनंत जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:58pm

उत्साहवर्धन हेतु कोटिश: धन्यवाद आदरणीय रकताले साहब ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 3, 2013 at 9:57pm

सराहना हेतु आभार प्रिय संदीप जी ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on February 1, 2013 at 11:07am

आदरणीय बागी सर "हास्य घनाक्षरी" प्रस्तुत कर आपने सुबह-सुबह आज का मेरा मौसम बदल दिया,हंसी थमती नहीं .हार्दिक बधाई स्वीकारें 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 1, 2013 at 8:35am

मौका देख चौका मारा, लगे हाथ पूछ डाला,
आप पे गया है या कि, बाप पे मैडम जी ||...........वाकई यह चौका है.

दोनों ही सुन्दर हास्य उपस्थित करती घनाक्षारियों पर सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय बाग़ी जी.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:17pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, रचना आपको गुदगुदा सकी, मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ, आभार आपका |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:15pm

आदरणीय राजेश झा जी, घनाक्षरी का नया रूप आपको भाया, मेरा प्रयास सार्थक हुआ, आपका बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:07pm

रचना आपको अच्छी लगी, आभार आदरणीया आरती शर्मा जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 9:05pm

हास्य रचना को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार, आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service