For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – June 2023 Archive (4)

शरारत के दिन गये - गजल (लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

पढ़ लिख गये हैं और जहालत के दिन गये

लेकिन इसी के साथ रिवायत के दिन गये।१।

*

जितने  भी  संगदिल  थे  तराशे  गये  बहुत

लेकिन न इतने भर से कयामत के दिन गये।२।

*

हर छोटी बात अब तो है तकरार का विषय

इस से समझ लो आप मुहब्बत के दिन गये।३।

*

साया गया जो बाप का क्या कुछ छिना न पूछ

उस की समझ  खुली  है  शरारत के दिन गये।४।

*

बाँटा  गया  अनाज  यूँ  दो- चार - दस  किलो

उस पर कहन कि आज से गुरबत के दिन गये।५।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 30, 2023 at 7:30pm — 2 Comments

दोहा - पंचक

आँगन में जब शूल के, हँसते हों नित फूल
अच्छे दिन का आगमन, समझो है अनुकूल।।
*
सुख चलते हों नित्य जब, लेकर टूटे पाँव
रंगत कैसे प्राप्त हो, अभिलाषा के गाँव।।
*
दुख की तपती धूप में, जलते सुख के पाँव
कैसे फिर बोलो मिले, अभिलाषा को छाँव।।
*
गिरकर भी सँभले नहीं, जो भी जन सौ बार
कब ईश्वर भी कर सके, आ उन का उद्धार।।
*
जीया  मीठी  बातकर, जो  जीवन  पर्यन्त
या तो वो शातिर बहुत, या फिर सीधा सन्त।।
*
मौलिक -अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 30, 2023 at 3:42pm — No Comments

दोहे - मिट्टी - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जीवन दाता ने रचा, जीवन बड़ा अनन्त

मिट्टी से आरम्भ कर, मिट्टी से दे अन्त।१।

*

मिट्टी में उपजे फसल, भरे सभी का पेट

मिले इसी से जिन्दगी, मिट्टी को मत मेट।२।

*

मिट्टी बढ़कर स्वर्ण से, सदा लगाओ भाल

केवल मिट्टी ही यहाँ , सब को सकती पाल।३।

*

जन्म, ब्याह, पूजा, मरण, कर मिट्टी की बात

कहते फिर भी लोग नित, घट मिट्टी की जात।४।

*

मिट्टी को घट बोलकर, रखते स्वर्ण सँभाल

पर मिट्टी को ही चलें, जग में चाल कुचाल।५।

*

करते पंछी पेड़ सब, मिट्टी का…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 25, 2023 at 8:31pm — No Comments

दोहे - समय

जो भी घटता  घाट  पर, सिर्फ समय का खेल

बाँकी जो भी जन करें, सब कुछ तुक का मेल।१।

*

कहता है सारा जगत, समय बड़ा बलवान

इसीलिए वह माँगता, हरपल निज सम्मान।२।

*

चाहे जितना आप दो, दौड़ भाग को तूल

कर्म जरूरी है मगर, फले समय अनुकूल।३।

*

जो भी छाया धूप है, या फिर कीर्ति कलंक

समय बनाता  भूप  है, और  समय  ही रंक।४।

*

सच कहते हैं सन्त जन, नहीं समय से खेल

समय करेगा  खेल  जब, नहीं  सकेगा झेल।५।

*

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 21, 2023 at 6:50pm — 2 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
5 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
8 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
9 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
10 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
11 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। आदरणीय ग़ज़ल तक आने व बहुमूल्य प्रतिक्रिया हेतु…"
12 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
59 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
59 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के।लिए सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service