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जो भी घटता  घाट  पर, सिर्फ समय का खेल
बाँकी जो भी जन करें, सब कुछ तुक का मेल।१।
*
कहता है सारा जगत, समय बड़ा बलवान
इसीलिए वह माँगता, हरपल निज सम्मान।२।
*
चाहे जितना आप दो, दौड़ भाग को तूल
कर्म जरूरी है मगर, फले समय अनुकूल।३।
*
जो भी छाया धूप है, या फिर कीर्ति कलंक
समय बनाता  भूप  है, और  समय  ही रंक।४।
*
सच कहते हैं सन्त जन, नहीं समय से खेल
समय करेगा  खेल  जब, नहीं  सकेगा झेल।५।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 25, 2023 at 8:36pm

आ. भाई श्याम नारायण जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।

Comment by Shyam Narain Verma on June 25, 2023 at 8:02pm
नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर दोहों से ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर

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