For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – June 2019 Archive (9)

मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :

मौन पर त्वरित क्षणिकाएं :

मौन तो
क्षरण है
शोर का

............

मन का
कोलाहल है
मौन

.............

मौन
स्वीकार है
समर्पण का

...............

मौन
प्रतिशोध का
शोर है

..............

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on June 26, 2019 at 8:12pm — 6 Comments

शब्द ....

शब्द ....

शब्द
बतियाते हैं तो
सृजन बन जाते हैं

शब्द
बतियाते हैं तो
वाचाल हो उठती है
अंतस भावों की
पाषाण प्रतिमा

शब्द
बतियाते हैं तो
बन जाते हैं
कालजयी
शिलालेख

शब्द
बतियाते हैं तो
छीन लेते हैं
मौन में दबे दर्द की
मौनता को

इसीलिए
शब्दों का बतियाना
बड़ा अच्छा लगता है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on June 23, 2019 at 5:02pm — 2 Comments

ख़्वाब ... (क्षणिका )

ख़्वाब ... (क्षणिका )

तैरता रहा तुम्हारा अक्स
मेरे ख़्वाबों के प्याले में
माहताब बनकर
मैं निहारता रहा
अब्र में
बिखरता ख़्वाब
छलिया माहताब में

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on June 22, 2019 at 4:58pm — 6 Comments

कर्म आधारित दोहे :

कर्म आधारित दोहे :

अपने अपने नीड़ की, अपनी अपनी पीर।

हर बंदे के कर्म ही, हैं उसकी तकदीर।।

पाप पुण्य संसार में, हैं कर्मों के भोग।

सुख-दुख पाना जीव का ,मात्र नहीं संयोग।।

हर किसी के कर्म का, दाता रखे हिसाब।

देना होगा ईश को ,हर कर्म का जवाब।।

चाँदी सोना धन सभी, हैं जग में बेकार।

सद कर्मों से जीव का, होता बेड़ा पार।।

जग में आया छोड़कर, जब तू अपना धाम।

धन अर्जन के कर्म में, भूल गया तू…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 20, 2019 at 2:33pm — 10 Comments

ताप संताप दोहे :

ताप संताप दोहे :

सूरज अपने ताप का, देख जरा संताप।

हरियाली को दे दिया, जैसे तूने शाप।।

भानु रशिम कर रही, कैसा तांडव आज।

वसुधा की काया फटी,ठूंठ बने सरताज।।

वसुंधरा का हो गया, देखो कैसा रूप।

हरियाली को खा गई, भानु तेरी धूप।।

मेघो अपने रहम की, जरा करो बरसात।

अपनी बूंदों से हरो, धरती का संताप।।

तृषित धरा को दीजिये, इंद्रदेव वरदान।

हलधर लौटे खेत में, खूब उगाये धान।।

सुशील सरना…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 19, 2019 at 7:04pm — 8 Comments

औरत.....

औरत.....

जाने 

कितने चेहरे रखती है 

मुस्कराहट 

थक गई है 

दर्द के पैबंद सीते सीते 

ज़िंदगी 

हर रात 

कोई मुझे 

आसमाँ बना देता है 

हर सह्र 

मैं पाताल से गहरे अंधेरों में 

धकेल दी जाती हूँ 

उफ़्फ़ ! कितनी बेअदबी होती है 

मेरे जिस्म के…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 18, 2019 at 1:07pm — 1 Comment

गर्मी पर 5 दोहे ....

गर्मी पर 5 दोहे ....

लू में हर जन भोगता, अनचाहा संताप।

दुश्मन मेघों का बना,भानु किरण का ताप।।

मेघों से धरती कहे, कब बरसोगे तात।

प्यासी वसुधा मांगती, थोड़ी सी बरसात।।

जंगल सारे कट गए, कैसे हो बरसात।

तपती धरती पर लिखी, पर्यावरणी बात।।

धरती पर हर ताप का, भानु ताप सरताज।

गौर वर्ण पर हो गया, स्वेद कणों का राज।।

भानु अनल से तप रहे, धरती अंबर आज।

प्यासा जीवन हो गया, बारिश का मुहताज…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 6, 2019 at 7:00pm — 5 Comments

ईद ...

ईद ...

दीद आपकी ईद पर, है अनुपम सौगात।

ईद मुबारक कर गई , आज ईद की रात ।।

मेघों की चिलमन हटी, हुई चाँद की दीद।

भेद-भाव सब भूलकर, कहें मुबारक ईद।।

दीद आपकी दे गई, ईदी हमको आज।

धड़कन के बजने लगे, देखो दिल में साज ।।

अर्श पर्श पर आज है, ईद मिलन का राज ।

ईद मुबारक सब कहें , इक दूजे को आज ।।

तरस रही हैं दीद को,कब आएगी ईद।

आएगी जब ईद, तो कैसे होगी दीद।।

बिना आपके बे-मज़ा,…

Continue

Added by Sushil Sarna on June 5, 2019 at 3:30pm — 3 Comments

ज़िंदगी ... तीन क्षणिकाएँ

ज़िंदगी ... तीन क्षणिकाएँ

मरती रही ज़िंदगी
ज़िंदा रही जब तक
अमर हो गई
फ्रेम में
कैद होने के बाद

..........................
जीती रही ज़िंदगी
ज़िंदा रही जब तक
मर गई
फ्रेम में
कैद होने से पहले

..........................

वाकिफ़ थी
अपने हश्र से
ज़िंदगी
फिर भी
मिट न सकी
जीने की लालसा
अवसान से पहले

.....................

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on June 2, 2019 at 9:24pm — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"जितनी भी कोशिश करो, रहता नहीं अखण्ड। रावण  हो  या  राम का, टिकता नहीं…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय दिनेश कुमार जी"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"हार्दिक आभार आदरणीय "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"सारगर्भित मुक्तकों के लिए बधाई प्रेषित है आदरणीय..सादर"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय दिनेशकुमार विश्वकर्मा जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया, प्रतिभा पाण्हे जी,बहुत सरल, सार-गर्भित कुण्डलिया छंद हुआ, बधाई, आपको"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आप, भगवान के बिकने के पीछे आशय स्पष्ट करें तो कोई विकल्प सुझाया जाय, बंधु"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आपके जानकारी के किए, पँचकल से विषम चरण प्रारम्भ होता है, प्रमाणः सुनि भुसुंडि के वचन सुभ देख राम पद…"
10 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। अच्छी रचना हेतु बधाई"
14 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"आदरणीया प्रतिभा जी ,सादर नमस्कार। छंद अच्छा है। बधाई"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service