For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जयनित कुमार मेहता's Blog – September 2015 Archive (7)

नाम काफ़ी है किसी का,सिर झुकाने के लिये (ग़ज़ल)

(2122 2122 2122 212)

आज फिर आये वो मुझको आज़माने के लिये..

क्या मिले हम ही थे उनको दिल दुखाने के लिये..

-

बात से फ़िर जाएँगे,ये सोच भी कैसे लिया,

सर कटा देंगे, दिया वादा निभाने के लिये..

-

ये शिकन माथे पे मेरे,बेवजह ही है सही,

कुछ तो कारण चाहिये ना, मुस्कुराने के लिये..

-

थे भरे संदूक वो,शैतान सब धन खा गये,

हो गये हैं आज वो,मुहताज दाने के लिये..

-

मंदिरों औ' मस्ज़िदों में 'जय' भटकना छोड़…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 29, 2015 at 12:27pm — 10 Comments

हो ग़म तो शख़्स वो हँसता बहुत है (ग़ज़ल)

1222  1222  122

मेरा दिल प्यार का भूखा बहुत है

ये दरिया है,मगर प्यासा बहुत है

-

मुकद्दर ने हमें मारा बहुत है

ज़माने से मिला धोखा बहुत है

-

उठाएँ हम भला हथियार कैसे

वो दुश्मन है,मगर प्यारा बहुत है

-

छुपाने का हुनर क्या खूब ढूँढा

हो ग़म तो शख़्स वो हँसता बहुत है

-

डराओ मत उसे क़ानून से तुम

कि उसके जेब में पैसा बहुत है

-

यूँ कहने को सितारे साथ हैं "जय"

मगर वो चाँद भी…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 24, 2015 at 12:32pm — 11 Comments

गाँव-घर मुझको बुलाते हैं (ग़ज़ल)

1222  1222  1222  1222

छलकते आँसुओं को हम तभी क्यूं भूल जाते हैं..

किसी को याद करके हम कभी क्यूं मुस्कुराते हैं..

-

न हम अपनी वफ़ाओं को कभी भी छोड़ पाते हैं,

न अपनी बेवफाई से कभी वो बाज़ आते हैं..

-

फ़िदा इन ही अदाओं पर हुऐ थे हम कभी यारों,

ज़रा सी बात पे वो रूठ कर फिर मान जाते हैं..

-

नज़र की बात थी,पर वो कभी भी बूझ ना पाये,

ज़रा, हम हाल दिल का बोलने में हिचकिचाते हैं..

-

भटक के इस शहर में,उब…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 17, 2015 at 3:50pm — 8 Comments

बिक रही अब तो मुहब्बत दोस्तों (ग़ज़ल)

(2122  2122  212)
बढ़ रही ख़्वाहिश-ए-दौलत दोस्तों..
बिक रही अब तो मुहब्बत दोस्तों..
-
कब रुकेंगी जाने नदियां ख़ून की,
ख़त्म होगी कब ये नफ़रत दोस्तों..
-
न्याय की उम्मीद अब तुम छोड़ दो,
हैं बहस भर ही अदालत दोस्तों..
-
दिल में उनके है नहीं मेरी जगह,
क्यों हमें उनकी है चाहत दोस्तों..
-
टूटने का डर नहीं लगता हमें,
दिल लगाने की है आदत…
Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 15, 2015 at 6:53pm — 17 Comments

आसमां तक वही गया होगा (ग़ज़ल)

(2122  1212  22)

आसमां तक वही गया होगा..

हो के बेख़ौफ़ जो उड़ा होगा..

-

राह तू जब तलक निकालेगा,

सूर्य तब तक तो ढल चुका होगा..

-

साँच को आंच ना कभी आती,

ये भी तुम ने कहीं सुना होगा..

-

हम नज़र किस तरह मिलायेंगे,

जब कभी उन से सामना होगा..

-

राह ईमान की चुने ही क्यों,

कौन तुमसे बड़ा गधा होगा..

-

ठोकरें ना गिरा सकीं उस को,

शख़्स तूफां में वो पला…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 12, 2015 at 5:26am — 8 Comments

जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर (ग़ज़ल)

(221 1222 221 1222)

जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर..

ज़ख्मों को भरा दिल के,यादों का नशा लेकर..

-

अब तक न मेरे फ़न को पहचान सके हैं जो,

फिर बाद में ढूंढेंगे वो मुझको दिया लेकर..

-

फीके सभी पकवानों के स्वाद हो जाते हैं,

खाता है नमक रोटी, जब भी वो मज़ा लेकर..

-

खोले खिड़की बैठा मैं देख रहा रस्ता,

शायद पहुँचे, कोई पैगाम हवा लेकर..

-

न ढूंढ सकेगा सारी उम्र खुदा को 'जय',

फिर बोल करेगा क्या, तू उसका पता…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 6, 2015 at 11:53pm — 10 Comments

यादें मरा नहीं करतीं (कविता)

तुम्हारे जाने के बाद

सोचा था,भुला दूंगा तुम्हें

जी लूँगा,उसी तरह

जैसे जीता था

जब तुम नहीं थे ज़िन्दगी में।

काटता रहा ज़िन्दगी...पल-पल

इसी भ्रम में

जी कहाँ पाया तब से?

काश!पहले पता होता

कमबख्त..यादें मरा नहीं करतीं

दिनभर की आपाधापी के बाद

साँझ ढले लौट आती हैं,घोंसले में

किसी उन्मुक्त पंछी की तरह

बहुत प्रयास किये

तिनका-तिनका नोच फेंकने के बाद भी

उजाड़ न पाया इनका बसेरा

सदा के लिए।

इनके कलरव हरपल

कांटे…

Continue

Added by जयनित कुमार मेहता on September 2, 2015 at 12:08pm — 4 Comments

Monthly Archives

2022

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
2 hours ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service