कुछ हल्का-फुल्का
इश्क-विश्क का फंडा ,यारा टेंशन वेंशन भूल .
और झमेले लाखों यारा ,रख अपने को cool .
'हिंदी वाले 'फूल' से चेहरे ,दिल्फैंकों को अक्सर .
मान के चलते सोच के चलते , इंग्लिश वाले 'fool '
कलयुग आया ,लड़का लडकी प्रेमिका प्रेमी कम हैं ;
इक दूजे को use ये करते समझ समझ के tool .
खूब निभे गी यारी यारा मेरी तेरी सब की ;
खुद की ego मार दबा दे ,दे न खुद को तूल.
आप को जो इक लाफा…
ContinueAdded by DEEP ZIRVI on August 3, 2012 at 2:30pm — 1 Comment
मानो तो रूह क़ा नाता है जी ये राखी
न मानो कच्चा धागा है जी ये राखी .
जो राखी को दम्भ-आडम्बर मानते हैं ;
उन का मन भी तो अपनाता है ये राखी .
बहना के मन से उपजी हर इक दुआ है ये ;
भाई-बहन से बंधवाता है ये राखी .
सभ्य समाज की नींव के पत्थर नातों…
ContinueAdded by DEEP ZIRVI on July 27, 2012 at 7:00pm — 1 Comment
उगते रिश्ते ,ढलते रिश्ते ;
रुकते रिश्ते चलते रिश्ते .
मन के रिश्ते मन से रिश्ते
तन के रिश्ते तन से रिश्ते
अपने रिश्ते बनते रिश्ते
सपने रिश्ते तनते रिश्ते .
उसके रिश्ते इसके रिश्ते
रिसते रिश्ते ,घिसते रिश्ते .
शासक रिश्ते शासित रिश्ते ,
बेदम रिश्ते ,बा-दम रिश्ते .
रिश्ते नीरज ,नीरस रिश्ते
रिश्ते सुधा कहीं गरल रिश्ते .
आंगन रिश्ते उपवन रिश्ते ,
हैं धरा जलद गगन रिश्ते .
रिश्ते पूनम क़ा चाँद भी हैं ,
तारे नयनाभिराम भी…
Added by DEEP ZIRVI on July 24, 2012 at 6:30am — 2 Comments
रोती रोटी क्यों रो रही ,कर लो बात ,
रोटी रोटी क्यों हो रही ,कर लो बात;'
तरकारी के भाव चले विन्ध्याचल को
तन्हा रोटी यों रो रही ,कर लो बात .
धान ज्वारी मक्का बासमती पेटेंट ;
नयनन जल रोटी ले रो रही कर लो बात.
भूखे को तो चंदा में रोटी दीखे;
चंदा रोटी एक हो रही ? कर लो बात .
रात को खा के सोए सुबह पेट ;
रोटी रोटी देख हो रही कर लो बात .
तीरों तलवारों से न टूटे छल बल से ;
टूटे भूखे पेट वो…
Added by DEEP ZIRVI on July 17, 2012 at 5:30pm — 1 Comment
अंधी पीसे कुत्ता खाए, खाने दो .
मत भेजे पे बोझा भेजो जाने दो .
बेईमान का भाव करोड़ों में , देखो .
और ईमान का मोल नही है आने दो .
कुतर कुतर कर मुल्क स्वार्थी चूहों ने .
खा जाना है, खा जाते हों खाने दो .
कालिमा कालिमा ही बस फैली है .
दीप बुझाओ रौशनी को मत आने दो .
अपने कल को दे के विष अपने हाथों .
घोडे बेच के आत्मा को सो जाने दो .
.
दीप ज़िर्वी
11.7.२०१२
Added by DEEP ZIRVI on July 12, 2012 at 2:30pm — 4 Comments
कहती है सरकार ,खजाना खाली है
बेकल बेरोजगार खजाना खाली है
बिना विभाग के मंत्री पद निर्माण करें ;
जनता के लिए यार ,खजाना खाली है .
अपने हक जो मांगे उन को पीटो बस;
कर लो गिरफ्तार ,खजाना खाली है .
सी .एम् पुत्र तो सी. एम् ही बन जाना है
काहे की तकरार ,खजाना खाली है .
वोटें हैं ,मेहनत हैं ,या फिर जेबें हैं ;
इन की क्यों सोचें यार ,खजाना खाली है .
दीप जीर्वी
Added by DEEP ZIRVI on July 11, 2012 at 7:48pm — 9 Comments
चलो जी चलो कलम उठाएं;चलो जी चलो कलम उठाएं.
लिख के कविता लेख कहानी,हम लेखक बन जाएं
तदुपरांत वो बकरा ढूंढें जिसको लिखा सुनाएं
चलो जी चलो कलम उठाएं.चलो जी चलो कलम उठाएं.
-०-०-०--०-०-०-०-०-०-०-०-
कागज़ कलम ; डाक खर्चे की ;पहले युक्ति लगाएं,
लिख लिख रचनाएँ अपनी ;अख़बारों को भिजवाएं .…
Added by DEEP ZIRVI on July 2, 2012 at 8:32am — 6 Comments
मेरे सर पर ,'सुख की छाया ' का पता , प्रभु आप थे .
उस रूप को शत शत नमन जब आप मेरे बाप थे .
सारा जग था आप से आरम्भ , और था आप तक .
आप आप आप प्रभु जी हर तरफ बस आप थे .
आप के सीने से आती वो पसीने की महक .
आप के सीने पे सर था मेरे सीने आप थे .
आपकी आई नही थी , आई बेशक थी मेरी .
मैं गया था इस…
ContinueAdded by DEEP ZIRVI on June 29, 2012 at 8:30am — No Comments
अब हवा न हो हमारे दरम्यां;
एक मन हैं ;एक तन हों ,एक जां.
तेरी जुल्फों में जो टांगा फूल तो ;
देर तक महकी हैं मेरी उंगलीयां .
तुम मिले होते न हम को गर सनम
मैं समझता जिंदगी है राए-गां.
एक नगमा बन गई हैं जिंदगी ;
कह रही मुझ को तू आ के गुनगुना .
पारसाई तेरी रास आने लगी ;
कर रही है तेरा मुझको निगेह -बाँ.
इश्क ने सब को सिखाई बन्दगी ;
वरना मेरी काविश गई थी राए -गां .
दीप जीरवी
Added by DEEP ZIRVI on June 29, 2012 at 12:00am — No Comments
यूं तो
मिलते हैं
बिछड़ते हैं
कई लोग मुझसे ;
तेरी बात और है तुम ने
सिर्फ
मुझसे
हाँ मुझ से
मुहब्बत क़ी है
...मेरी झोली में डाले हैं
मुहब्बत के सच्चे मोती ...
...मेरी मुहब्बत क़ी देवी
तुम ने मुझ पे ये
ख़ास इनायत की है .
आती जाती हुई साँसों में
बसी तू तू तू ही ...
...तेरी नजरे करम ने
मेरी ये हालत क़ी है .
सौ जन्म लेकर भी
पा ना पाता हीरा तुम सा ...
... भर के अपनी मुहब्बत से
मेरी झोली
...इनायत क़ी है
. तू…
Added by DEEP ZIRVI on June 28, 2012 at 11:30pm — No Comments
{भाव निर्झर }
कितना भोला कितना सादा ;
देखिये पंजाब है .
कटता आया बंटता आया ,
देखिये पंजाब है.
भोलेपन की इंतिहा है ,
सोच के देखे कोई ;
लीडरों की घर की मुर्गी ,
देखिये पंजाब है.
अन्नदाता देस क़ा
खुद फांकता सल्फास है
डालरों की धौंस सहता ,
देखिये पंजाब है..
फिल्म टी वी में दिखे
जो हर चरित्र मसखरा
उनमें पागल दिखने वाला ;
देखिये पंजाब है.;
इन शहीदों की कभी लिखे
अगर कोई किताब
हर जगह पंजाबियों क़ा…
Added by DEEP ZIRVI on June 28, 2012 at 11:30pm — 1 Comment
चोर चुरावें मेरी निंदिया ||1
दधक दधक जियरा दधकै
बरसे छम छम बारिश बुंदिया ||2
धडक धडक धड्कावे दिल को
चकवा चितवे है चंदिया .3
डग मग डग मग डोल रही है ;
नय्या के अंग संग ही नदिया…
ContinueAdded by DEEP ZIRVI on December 16, 2010 at 10:30pm — 2 Comments
Added by DEEP ZIRVI on December 6, 2010 at 8:48pm — 4 Comments
Added by DEEP ZIRVI on November 19, 2010 at 9:40pm — 2 Comments
Added by DEEP ZIRVI on November 12, 2010 at 6:00am — 4 Comments
Added by DEEP ZIRVI on November 8, 2010 at 5:00pm — 1 Comment
Added by DEEP ZIRVI on October 24, 2010 at 9:51pm — 2 Comments
Added by DEEP ZIRVI on October 24, 2010 at 9:30pm — 3 Comments
Added by DEEP ZIRVI on October 20, 2010 at 6:48am — 4 Comments
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