जाग जाता हूँ सुबह ही आँख अब लगती नहीं
दिन गुजरता है नहीं और रात कटती ही नहीं
ऐसा लगता है मैं कोई व्यर्थ सा सामान हूँ
है कदर न जिसकी कोई खोया वो सम्मान हूँ
प्यार बीवी के नजर में वैसी अब दिखती नहीं
है खफा वो खूब लेकिन मुँह से कुछ कहती नहीं
पहले सी चहरे पे उसके अब हसी दिखती नहीं
मेरी ये उदास आँखे झूठ कह सकती नहीं
चिढ़चिढ़ा सा हो गया हूँ बस यु हीं लड़ जाता हूँ
छोटी-छोटी बातों पे मैं बच्चों पे चिल्लाता हूँ
मेरे…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 16, 2020 at 6:30am — 5 Comments
वर्षों हुए
एक बार देखे उसको
तब वो पुरे श्रृंगार में होती थी
बात बहुत
करती थी अपनी गहरी आँखों से
शब्द कहने से उसे उलझने तमाम होती थी
इमली चटनी
आम की क्यारी
चटपट खाना बहुत पसंद था
सैर सपाटे
चकमक कपडे रंगों का खेल
गाना बजाना हरदम था
खेलना कूदना
पढ़ना लिखना सपने सजाना
सब उसके फेहरिस्त का हिस्सा थे
सावन, झूले
नहरों में नहाना, पसंद का खाना
कई तरह के किस्से…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 14, 2020 at 3:19pm — 6 Comments
मैं जहाँ पर खड़ा हूँ वहाँ से हर मोड़ दिखता है
इस जहाँ से उस जहाँ का हरेक छोड़ दिखता है
ये वो किनारा है जहां सब खत्म हुआ समझो
सभी भावनाओं का जैसे अब अंत हुआ समझो
दर्द मुझे है बहूत मगर अब उसका कोई इलाज नहीं
मैं ना लगूँ खुश मगर, मैं किसी से नाराज़ नहीं
मैंने देखा है खुद को उसकी आँखों मे कई दफा मरते हुए
उसने ये सब सहा है, हर बार मगर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 11, 2020 at 9:28am — 3 Comments
उन गलियों को छोड़ दिया
उन राहों से मुँह मोड़ लिया
अपनी यारी के किस्से जहां
आज भी गूंजा कराती है
अब बची रही कुछ खास नहीं
उन उम्मीदों की प्यास नहीं
तेरे घर के चौबारे पर अब भी
आवाज़ जो गूंजा करती है
वो जुते में चिरकुट रखना
पीछे से यूँ पेपर तकना
हिंदी वाली मिस हमेशा
याद अभी भी करती है
वो रातों को पढ़ने जाना
एक दूजे के घर चढ़ आना
किताबे पिली पन्नी के अब भी
हर रात वही पर…
ContinueAdded by AMAN SINHA on May 2, 2020 at 2:37pm — 5 Comments
कुछ पल और ठहर जाओ के रात अभी बाकी है
दो घूंट कश के लगाओ के कई बात अभी बाकी है
जो टूटे है ख्वाब सारे वो बैठ के जोड़ेंगे
छाले दिल में है जितने भी इसी हाथ से फोड़ेंगे
थोड़ा तुम दिल को बहलाओ के ज़ज़्बात अभी बाकी है
के आज हद से गुज़र जाओ मुलाकात अभी बाकी है
तमन्ना जो भी है दिल में आज पूरी सारी कर लो
हम खाएं खो ना जाएं अपने बाहों में भर लो
करेंगे हम ना अब इंकार के इकरार अभी बाकी है
ना होंगे फिर ये हालात के ऐतबार अभी बाकी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 27, 2020 at 2:28pm — 7 Comments
चाहता हूँ कुछ लिखूं , पर सोचता हूँ क्या लिखूं ,
दिल में है जो वो लिखूं,या लब पे है जो वो लिखूं
सोये हुए जज्बातो को, एक लफ्ज़ दूँ जो बयान हो
टूटे हुए अरमानो को, एक शक्ल दूँ दरमायान हो
बिखरी हुई सी चाह को,बैठा हुआ मैं बटोरता
भूले हुए से राह पर, मैं बेलगाम सा दौड़ता
बंद एक संदूक में, मैं अन्धकार को तरेरता
खुद के तलाश में अपने ही,अक्स को मैं कुरेदता
चल जाऊं जो मैं चल सकूं,ले आऊं मैं जो ला सकूं
बीते…
ContinueAdded by AMAN SINHA on April 13, 2020 at 3:40pm — No Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |