For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

 

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1053

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 15, 2012 at 11:56pm

धन्यवाद बागडे साहब !

Comment by AVINASH S BAGDE on July 20, 2012 at 7:14pm

wah...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 20, 2012 at 9:12am

धन्यवाद आदरणीय सौरभ जी !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 11:57pm

प्रेरणा और सांत्वना देता गीत बन पड़ा है, आदरणीय अम्बरीषभाईजी.

सादर बधाई.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:15pm

मित्र संदीप जी, इस गीत को पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार ....सस्नेह ...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:14pm

आदरणीय अग्रज मापतपुरी जी, आपके स्नेह को सादर नमन ...

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 14, 2012 at 7:13pm

मित्र शैलेन्द्र जी, आभारी हूँ आपका .......आपकी हृदयस्पर्शी प्रतिक्रिया अभिभूत करती है ! सस्नेह

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 14, 2012 at 11:29am

ज़िंदगी की मुश्किलों से लड़ते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देता आपका यह गीत बहुत ही सुन्दर लगा आदरणीय| सादर,

Comment by satish mapatpuri on July 14, 2012 at 2:48am

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे,

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............   नमन है आदरणीय श्रीवास्तव साहेब ....... इस ज़ज्बे को सलाम  

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 10:58pm

 बहुत ही बढ़िया रचना  वीर रस का संचार करती इस रचना में केवल काव्य ही नहीं है अपितु   सभी के लिए बहुत ही सकारात्मक सन्देश है

 जोश भर देने वाली,कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हिम्मत रखने हौसले बुलंद रखने का पवित्र उद्देश्य कहती बहेतरीन रचना

हार्दिक बधाई

दम भरी ये साधना बुलंद हौसला लिए

कह रही है बड़े चलो बुलंद हौसला  लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service