For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anwar suhail's Blog – September 2013 Archive (11)

हमारे ज़माने में माएं

मैं कैसे बताऊँ बिटिया

हमारे ज़माने में माँ कैसी होती थी

तब अब्बू किसी तानाशाह के ओहदे पर बैठते थे

तब अब्बू के नाम से कांपते थे बच्चे

और माएं बारहा अब्बू की मार-डांट से हमें बचाती थीं

हमारी छोटी-मोटी गलतियां अब्बू से छिपा लेती थीं

हमारे बचपन की सबसे सुरक्षित दोस्त हुआ करती थीं माँ

हमारी राजदार हुआ करती थीं वो

इधर-उधर से बचाकर रखती थीं पैसे

और गुपचुप देती थी पैसे सिनेमा, सर्कस के लिए

अब्बू से हम सीधे कोई…

Continue

Added by anwar suhail on September 29, 2013 at 9:30pm — 5 Comments

अधूरी लड़ाइयों का दौर

एक धमाका 

फिर कई धमाके 

भय और भगदड़....



इंसानी जिस्मों के बिखरे चीथड़े 

टीवी चैनलों के ओबी वैन 

संवाददाता, कैमरे, लाइव अपडेट्स 

मंत्रियों के बयान 

कायराना हरकत की निंदा 

मृतकों और घायलों के लिए अनुदान की घोषणाएं 



इस बीच किसी आतंकवादी संगठन द्वारा 

धमाके में लिप्त होने की स्वीकारोक्ति 

पाक के नापाक साजिशों का ब्यौरा 

सीसीटीवी कैमरे की जांच 

मीडिया में हल्ला, हंगामा, बहसें 

गृहमंत्री, प्रधानमन्त्री से स्तीफे…

Continue

Added by anwar suhail on September 28, 2013 at 8:00pm — 6 Comments

आह्वान

ये क्या हो रहा है

ये क्यों हो रहा है

नकली चीज़ें बिक रही हैं

नकली लोग पूजे जा रहे हैं...

नकली सवाल खड़े हो रहे हैं

नकली जवाब तलाशे जा रहे हैं

नकली समस्याएं जगह पा रही हैं

नकली आन्दोलन हो रहे हैं

अरे कोई तो आओ...

आओ आगे बढ़कर 

मेरे यार को समझाओ

उसे आवाज़ देकर बुलाओ...

वो मायूस है

इस क्रूर समय में

वो गमज़दा है निर्मम संसार में...

कोई नही आता भाई..

तो मेरी आवाज़ ही सुन लो 

लौट आओ

यहाँ दुःख बाटने की परंपरा…

Continue

Added by anwar suhail on September 25, 2013 at 7:30pm — 7 Comments

मिस्टेक न हो जाए

इससे पहले कभी 

कहा नही जाता था 

तो बम के साथ हम 

फट जाते थे कहीं भी

और उड़ा देते थे चीथड़े 

इंसानी जिस्मों के...



अब कहा जा रहा है 

मारे न जायें अपने आदमी 

सो पूछ-पूछ कर 

जवाब से मुतमइन होकर 

मार रहे हैं हम...



बस समस्या भाषा की है 

उन्हें समझ में नही आती

हमारी भाषा 

हमें समझ में नही आती 

उनकी बोली 



हेल्लो हेल्लो 

क्या करें हुज़ूर..

एक तरफ आपका फरमान 

दूजे टारगेट की…

Continue

Added by anwar suhail on September 24, 2013 at 6:30pm — 7 Comments

फिर क्यों ?

ऐसा नही है 

कि रहता है वहाँ घुप्प अन्धेरा 

ऐसा नही है 

कि वहां सरसराते हैं सर्प 

ऐसा नही है 

कि वहाँ तेज़ धारदार कांटे ही कांटे हैं 

ऐसा नही है 

कि बजबजाते हैं कीड़े-मकोड़े 

ऐसा भी नही है 

कि मौत के खौफ का बसेरा है 



फिर क्यों 

वहाँ जाने से डरते हैं हम 

फिर क्यों 

वहाँ की बातें भी हम नहीं करना चाहते 

फिर क्यों 

अपने लोगों को

बचाने की जुगत लागाते हैं हम 

फिर क्यों 

उस आतंक को घूँट-घूँट पीते हैं…

Continue

Added by anwar suhail on September 20, 2013 at 7:00pm — 7 Comments

श्राप

तुमने ठीक कहा था 
तुम्हारे बिना देख नही पाऊंगा मैं 
कोई भी रंग 
पत्तियों का रंग 
फूलों का रंग 
बच्चों की मुस्कान का रंग 
अज़ान का रंग 
मज़ार से उठते लोभान का रंग 
सुबह का रंग....शाम का रंग 
मुझे सारे रंग धुंधले दीखते हैं 
कुहरा नुमा...धुंआ-धुंआ...
और कभी मटमैला सा कुछ....

ये तुमने कैसा श्राप दिया है 
तुम ही मुझे श्राप-मुक्त कर सकते हो..
कुछ करो...
वरना पागल हो जाऊंगा मैं.....

(मौलिक अप्रकाशित)

Added by anwar suhail on September 18, 2013 at 7:00pm — 12 Comments

अजीब विडम्बना है

अजीब विडम्बना है

कि अपने दुखों का कारण

अपने प्रयत्नों में नहीं खोजते

बल्कि मान लेते हैं

कि ये हमारा दुर्भाग्य है

कि ये प्रतिफल है

हमारे पूर्वजन्मों का...

अजीब विडम्बना है

जो मान लेते हैं हम

ब-आसानी उनके प्रचारों को

कि तंत्र-मन्त्र-यंत्र,

तावीजें-गंडे

शरीर में धारण कर लेने मात्र से

दूर हो जाएंगे हमारे तमाम दुःख !

अजीब विडम्बना है

लम्बी-लम्बी साधनाओं का

तपस्या का

मार्ग जानते हुए भी

हम…

Continue

Added by anwar suhail on September 15, 2013 at 8:24pm — 3 Comments

एक बार फिर

एक बार फिर 

इकट्ठा हो रही वही ताकतें 

एक बार फिर 

सज रहे वैसे ही मंच 

एक बार फिर 

जुट रही भीड़

कुछ पा जाने की आस में

              भूखे-नंगों की 

एक बार फिर 

सुनाई दे रहीं,

वही ध्वंसात्मक  धुनें 

एक बार फिर 

गूँज रही फ़ौजी जूतों की थाप  

 

एक बार फिर 

थिरक रहे दंगाइयों, आतंकियों के पाँव 

एक बार फिर 

उठ रही लपटें

धुए से काला हो…

Continue

Added by anwar suhail on September 10, 2013 at 8:34pm — 10 Comments

ओ तालिबान !

जिसने जाना नही इस्लाम 

वो है दरिंदा 

वो है तालिबान...



सदियों से खड़े थे चुपचाप 

बामियान में बुद्ध 

उसे क्यों ध्वंस किया तालिबान 



इस्लाम भी नही बदल पाया तुम्हे 

ओ तालिबान 

ले ली तुम्हारे विचारों ने 

सुष्मिता बेनर्जी की जान....



कैसा है तुम्हारी व्यवस्था 

ओ तालिबान!

जिसमे…

Continue

Added by anwar suhail on September 6, 2013 at 8:14pm — 3 Comments

पहचान लिए जाने का डर

कोई तोड़ दे

उसका सर 

जोर से

मार कर पत्थर 

हो जाए ज़ख़्मी वो 

 

कोई दे उसे 

चीख-चीख कर

गालियाँ बेशुमार 

कि फट जाएँ उसके कान के परदे 

घर या दफ्तर जाते समय 

टकरा जाए उसकी गाडी 

किसी पेड़ या खम्भे से 

चकनाचूर हो जाए उसकी गाडी 

और अस्पताल के हड्डी विभाग में 

पलस्तर बंधी उसकी देह गंधाये...

और एक दिन 

सुनने में आया 

कि किसी ने उसके सर पर

....मार दिया…

Continue

Added by anwar suhail on September 5, 2013 at 11:00pm — 5 Comments

आस्था की दीवार

जैसे टूटता  तटबंध 

और डूबने लगते बसेरे 

बन आती जान पर 

बह जाता, जतन से धरा सब कुछ 

कुछ ऐसा ही होता है 

जब गिरती आस्था की दीवार 

जब टूटती विश्वास की डोर

ज़ख़्मी हो जाता दिल 

छितरा जाते जिस्म के पुर्जे 

ख़त्म हो जाती उम्मीदें 

हमारी आस्था के स्तम्भ 

ओ बेदर्द निष्ठुर छलिया ! 

कभी सोचा तुमने 

कि अब  स्वप्न देखने से भी 

डरने लगा  इंसान 

और स्वप्न ही  तो हैं 

इंसान के…

Continue

Added by anwar suhail on September 2, 2013 at 9:00pm — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
17 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
18 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
20 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service