For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण रामानुज लडीवाला's Blog (188)

ये हादसे -- - - - -

 
ये हादसे 
मीडिया की 
टी आर पी के वास्ते 
लोगो के मनोरंजन 
के रास्ते
बतलाते 
मुनीम और गुमास्ते |
ये…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2012 at 5:57pm — 6 Comments

नारी की महिमा

 
आड़े वक्त मिलता है, नारी का ही साथ 
आड़े वक्त पकडती है, नारी तेरा हाथ |
 
नारी के ही प्रेम से, होते सब दुख दूर,
नारी घर परिवार की, मदद करे भरपूर |
 
नारी से खिलता है, घर बगिया का…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 24, 2012 at 11:30am — 24 Comments

गुरु ज्ञान (दोहे)

   

 1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,

   भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |



  

 2.अमल करे तबही बढे, गुरु सबके हीसाथ,

   करम सेही भाग्य बढे, भाग्य उसीके हाथ |



 3. नेता भाषण में  कहें,जाति का नहीं भेद,

   जो फोटू दिखलाय दो, तुरत करेंगे खेद |



4. भेद गरीब अमीर का , नहीं करे करतार,

   करतारही जब न करे,हमको क्यों दरकार |


 5.पुत्र से अगर वंश चले, बेटी भी हकदार,              

 बिन जमींन नहि कुछ…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 22, 2012 at 11:00am — 14 Comments

हर भारतीय का आत्म गौरव है हिंदी

 हिंदी दिवस पर समस्त ओ बी ओ के सम्मानित सदश्यों का हार्दिक शुभ कामनाए 

समस्त लोगो की जुबान पर है हिंदी
हमारी गजल हमारी कविता है हिंदी  
जन जन की रग रग में बसी है हिंदी  
समूचे भारत राष्ट्र की पहचान है हिंदी
राष्ट्र प्रेम को दर्शाती मेरी भाषा है हिंदी
प्यार का…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2012 at 11:00am — 10 Comments

अमृत ही बरसाय ----(दोहे)



अमृत ही बरसाय
 (संशोधित दोहे)


 
खबरे पढ़ पढ़ जग मुआ, ज्ञानी भया न कोय,
छंदों में जब मन लगे,तब मन निर्मल होय //   
 
बालक को धन्धे लगा, अमीर बना न कोय …
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 6:00pm — 16 Comments

हाथ मलते रह गए

पडौसी खावे मलाई, हम ताकत ही रहे,

शरनागाह बना देश, हम देखते ही रहे |



नीतियाँ उदारवादी, हमको ही खा रही,

स्वार्थ की राजनीति, सबको जला रही |



स्पष्ट निति के अभाव में,अभाव में जी रहे,

सहिष्णुता लोकतंत्र में, तपत हम सोना रहे |



समय हमें सिखलाएगा, काँटों पर चलना,

शहीद की शहादत को, अक्षुण बनाए रखना |



शीतल कैलाश हिम पर, है शिव शंकर बैठे,

पवित्र गंगा भी धारित, है जटा में समेटे |



त्रिनेत्र से भष्म कर दे, इसका…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 1:00pm — 2 Comments

काव्य रस अपनाओ जी ----

धीरे धीरे बोंलो जी,
कानो में रस घोलो जी |
 
चबा चबा कर खाओ जी, 
खाओ और पचाओं जी :|
 
भोगी से योगी बनना सीखो, 
रोगी कभी न बनना जी | …
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2012 at 11:30am — 10 Comments

ओबीओ एक अनूठा मंच है -------

ओबीओ में विशाल मेंला लगा था

छंद कवियों का तांता लगा था |



मैंने वहां ;दोहा;नाम से कविता दागी


प्राचार्य ने यह दोहा नहीं कह हटा दी |



मैंने फिर छन्-पकैयां लिख लगा दिए


गुरुवर ने नरम हो कुछ सुझाव दिए |



एक अलबेला कूद पड़े बोंले मानलो


सिष्य से प्राचार्य बना देंगे जानलो |



गुरुवर बोंले ये कर्म योगी का…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2012 at 5:30am — 14 Comments

वर्षा जल भूजल करो

 

रेल सड़क सब जाम है, उफान में नदियाँ,
वर्षा जल न भूजल कर, बिता रहे सदियाँ // 
 
नदिया सब जोड़ी नहीं, बाढ़ खा रही खेत, 
बाढ़ खा रही खेत सब, किसान हुए अचेत //
 
नदी नाले अवरुद्ध हुए, बस गए वहां अमीर,
कच्ची बस्ती बेघर हुए, विस्थापिक फकीर //
 
बाढ़ नियंत्रण कक्ष बना, नेताओ का दौरा,
नेताओ का दौरा हुआ, राहत…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 5:35pm — 6 Comments

नित्कर्म ही धर्म (दोहे)

मर्यादित आचरण ही,सद्चरित्र व्यवहार,
सद्चरित्र व्यवहार से,हो दर्शन करतार //

कर दर्शन करतार के, सदाचार सोपान,
सदाचार सोपान से, होगा बेडा पार //

होगा बेडा पार तब,परहित तेरे कर्म,
परहित तेरे कर्म हो, उसेही मनो धर्म //

पुरुषोत्तमश्री राम का, है मर्यादित चरित्र,
अनुशासित नित्कर्म, है आचरण पवित्र //

जीवन दर्शन तत्व को,कृष्ण ही समझाय
युक्ति संगत करम को, कर्मयोगी बतलाय //

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 11:30am — 16 Comments

वक्त कीमती है --------

कर्म ने ही सुखद भाग्य बनाया 

गीता में कृष्ण ने यही बताया |

 

मदद ली जाती  है, इसकी समझ धरो 

भूलोंसे सीख का मन में उन्माद भरो |

 

प्रभु के दिए मौके को न जाने दिया करो 

उंगलियाँ यूँ ही  न सब पर उठाया करो | 

 

बीते वक्त की याद ने मन दुखी कराया 

उठों तभी सवेरा है, मन को समझाया…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2012 at 5:34pm — 2 Comments

यूँ ही उंगलियाँ न उठाओ

पोते-पोतियों से पढ़ना सीख रही है पुलिसवालों की बीबियाँ 
पुलिस वाले हैरान है,हो जाएँगी होशियार उनकी बीबियाँ | -1



पत्निया फिक्रमंद है,कही आँखे न लड़ाले ये कामवाली बाइयां,
चुपके चुपके पतियों से, पढ़ना सीख रही है कामवाली बाइयां |- 2…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 27, 2012 at 3:04pm — 2 Comments

कह मुकरियाँ

(आदरणीय  अम्बरीश जी रहा नहीं गया   कह मुकरियाँ  मैंने भी लिखी सादर देखे :..)

 
 
वारंट निकालों चाहे जितने 
हाथ पुलिस के वे  न आते 
गुण्डों का भी पोषण करते 
क्या सखी नेता ? नहीं…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 24, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

मन से है ------ ( दोहे )

 
राष्ट्र गान के बोल पर, हो जाते सब मुग्ध 
निरा पशु वो आदमी, सुनकर होवे क्षुब्ध // 
 
त्याग औ बलिदान की,आजादी सौगात 
याद रहे कुर्बानियां, विनती यही दातार  //
  
पांडव अब…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 23, 2012 at 10:30am — 7 Comments

भारत माँ की लाज बचाने

हे भारत के लोगों जागों 

खेतिहर मजदूर,किसानो जागो
फिरसे  मोर्चा संभालो रे 
आंतकवादी घुसआये देश में, 
बाहर उन्हें निकालो रे  |
कलम के धनी लेखकों जागों …
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2012 at 2:30pm — 3 Comments

भ्रष्टाचार की जड़ें (कहानी)

रामानुज के छोटे भाई शिवशंकर अन्तरिक्ष संचार विभाग में कार्यरत थे |विभाग के उपमहा प्रबंधक धोकलराम पंवार ने शिवशंकर को आकाशपुर की स्टेशनरी फर्मो से निविदाए एवं साथ में बंद लिफाफे एकत्रित कर प्रस्तुत करने का कार्य करने का निर्देश दिया | डी.जी.एम् धोकलराम पंवार को उसने बताया कि उसकी सेवा निवृति होने में अब 15 माह का समय ही शेष बचा है, अतः यह कार्य किसी अन्यसे सम्पादित करावे | डी.जी.एम्. पंवार ने कहा कि सेवा निवृति से पूर्व,मै चाहता हूँ कि आप भी लाभ ले लो,फिर आपकी इमानदार छवि के चलते किसी को कोई…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 13, 2012 at 4:00pm — 9 Comments

एक ही विधान है

देने वाला दाता ही,  ताप है संताप है 
तुझे मिल रहा जो, कर्मो  का ही श्राप है 
 
मत समझ वे कमजोर, और तू बलवान है 
उनके बल पर ही बना, आज तू धनवान है …
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 6, 2012 at 12:30pm — 7 Comments

"टै" बोलने का इंतजार (लघुकथा)

बच्चे ने पूछा - दादी, आप भगवन को प्यारी कब होंगी ? बूढी दादी बोली-बेटा,भगवान् की पूजा करना ही अपने हाथ में है,बाकी सब भगवान पर है | बच्चे ने फिर पूछा- दादी आप "टै" कब बोंलेगी ? दादी कुछ देर विस्मय से बच्चे को गुहारती रही,फिर सोच कर बोंली- सौरभ बेटे "टै" बोलने से क्या होता है ? चल तू कहता है तो अभी ही बोल लेती हूँ -टै | इस पर सौरभ बोंला - दादी. रात को माँ पापा से कह रहा था कि आप नयी कार कब खरीदोंगे | मम्मी-पापा बात कररहे थे कि दादी के पास बहुत सारा धन है | पर जब वह "टै" बोल जायेगी तब ही…

Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2012 at 5:30pm — 13 Comments

मेरी माँ है सबसे प्यारी

मेरी माँ है सबसे प्यारी 

मोहपाश

दादा-दादी की दुलारी
मेरी माँ है सबसे प्यारी  
है बहुत…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2012 at 11:00am — 5 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

2014

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
13 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Dharmendra Kumar Yadav's blog post ममता का मर्म
"बंधु, नमस्कार, रचना का स्वरूप जान कर ही काव्य का मूल्यांकन , भाव-शिल्प की दृष्टिकोण से सम्भव है,…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"अच्छे दोहे हुए हैं, आदरणीय सरना साहब, बधाई ! किन्तु दोहा-छंद मात्र कलों ( त्रिकल द्विकल आदि का…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service