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हे भारत के लोगों जागों 

खेतिहर मजदूर,किसानो जागो
फिरसे  मोर्चा संभालो रे 
आंतकवादी घुसआये देश में, 
बाहर उन्हें निकालो रे  |
कलम के धनी लेखकों जागों 
बौद्धिक मनीषियों जागो, 
भ्रष्टाचारी लूट रहे देश को 
इनको सबक सिखाओ रे |
अत्याचारी मार रहे कोख है 
इज्जत लूट रहे माँ बहनों की
सौदागर है ये मानव अंगो के 
इनपर कालिख पोतो रे |
हे भारत के लोगो जागो 
योद्धाओ दिग्पालो जागो 
सीमा में घुस रहे पडौसी 
इनको बहार खदेड़ो  रे
भारत माँ की लाज बचाने
सब मिल आगे आओ रे | 
गंगा यमुना कर रहे प्रदूषित 
अवैध खनन से हो रहे पोषित 
खंडित कर रहे है धरती माँ को
इनको दूर भगाओ रे 
भारत माँ की लाज बचाने 
सब मिल आगे आओ रे |
 
 -लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 15, 2012 at 10:19am

आदरणीय अम्बरीश श्रीवास्तव जी और रेखा जोशीजी आपका हार्दिक आभार | देश की आजादी अब विदेशों से अधिक आन्तरिक दुश्मनों से अधिक दिखाई दे रही है, ऐसे में लेखक के नाते अपने दायित्व बौध पर रचना को सराह उत्साह वर्धन करने पर मै उपकृत हुआ |पुनः आभार 

Comment by Rekha Joshi on August 14, 2012 at 11:30pm

कलम के धनी लेखकों जागों 

बौद्धिक मनीषियों जागो, 
भ्रष्टाचारी लूट रहे देश को 
इनको सबक सिखाओ रे |,लक्ष्मण जी अति सुंदर अभिव्यक्ति ,हार्दिक बधाई 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 14, 2012 at 10:34pm

//

भ्रष्टाचारी लूट रहे देश को 
इनको सबक सिखाओ रे |
अत्याचारी मार रहे कोख है 
इज्जत लूट रहे माँ बहनों की
सौदागर है ये मानव अंगो के 
इनपर कालिख पोतो रे |//
वाह लक्ष्मण साहब वाह .....बुराइयों पर बहुत ही सटीक वार किया है आपने .....बधाई मित्र !

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