For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 
आड़े वक्त मिलता है, नारी का ही साथ 
आड़े वक्त पकडती है, नारी तेरा हाथ |
 
नारी के ही प्रेम से, होते सब दुख दूर,
नारी घर परिवार की, मदद करे भरपूर |
 
नारी से खिलता है, घर बगिया का फूल,
नारी को अपमान का, दो न कभी भी शूल|
 
नारी का हो ह्रदय से,पूजित सा सम्मान,
नारी  चाहे ह्रदय से, केवल अपना मान |
 
स्त्री घर की लक्ष्मी है,उससे महकता घर,
स्त्री लावे किलकारी, करे जो रोशन घर |
 
देख महिमा नारी की, अपने सम तो मान,
दो पहिये की गाड़ी है, इसका सबको भान |
 
माँ बनकर नारी बने, गुरु प्रथम शिशु की,
उपेक्षित न रहे नारी, जय नारी शक्ति की | 

 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 
 

Views: 1337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 16, 2012 at 11:43am

रचना पसंद कर अभिव्यक्त भावों को सराहने के लिए हार्दिक आभार श्री नादिर खान भाई 

Comment by नादिर ख़ान on October 16, 2012 at 11:33am

नारी के ही प्रेम से, होते सब दुख दूर,

नारी घर परिवार की, मदद करे भरपूर |
 
लक्ष्मण प्रसाद जी बड़े ही उम्दा भाव लिए हुये है आपकी रचना बधाई ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 10:39am

आपकी दोहे "अमृत ही बरसे" पर टिपण्णी मुझे याद है | दरअसल दोहे गुदगुदाने का अभ्यास करना ही होगा,जिसका दुहरा  लाभ मिलेगा, (याद भी होंगे और लयात्मकता कभी आभास हो ककेगा ) उत्साह वर्धन एवं आपका सहयोगात्मक सोच के प्रति मै नतमस्तक हूँ  आदरणीय सीमा अग्रवाल जी, हार्दिक धन्यवाद |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 5, 2012 at 10:31am
आपके सहयोगात्मक सोच से मै अभ्भूत हूँ आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, काफी कुछ और 
महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है आपसे, दरअसल मै मात्र गिनने में लघु गुरु का ध्यान नहीं 
रख पाता | अब पूरा प्रयास करूँगा और आदरणीय सीमा जी की बात भी उचित है |
Comment by seema agrawal on October 4, 2012 at 10:04pm

सौरभ जी आपकी काव्य के प्रति श्रद्धा और चिंता को देख कर बहुत उत्साह मिलता है एक बार मैंने लक्षमण जी से कहा था "छंद में गेयता प्राथमिक गुण है यदि हर छंद को कई बार सही लय के साथ गुनगुनाया जाए और आत्मसात किया जाये तो मात्राएँ जानो या नहीं ..मात्राएँ सही ही बैठेंगी ...
इसका प्रत्यक्ष उदहारण मैं स्वयं हूँ ...मुझे दोहे का व्याकरण जब नहीं पता था तब भी जो दोहे मैंने  लिखे थे वह  गणना  के हिसाब से सही बैठते हैं ...कारण  मैंने उन्हें तब  सिर्फ लय को पकड़ कर लिखा था 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 4, 2012 at 9:43pm

//आपकी यह टिपण्णी "छंद-विधा को जान लेने के बाद समझौते न किया करें" बेहद मायने रखती है,कृपया इसे रचना पर सुझाव/संशोधन बताकर लाभान्वित करे //

दोहे दो पंक्तियों में कहा जाता है. एक पंक्ति दो चरणों में विभक्त होती है  --विषम चरण तेरह मात्राओं का तथा सम चरण ग्यारह मात्राओं का. 

विषम चरण का अंत लघु गुरु से या लघु लघु लघु से होना चाहिये. यानि, ग्यारहवीं मात्रा लघु होगी और बारहवीं और तेरहवीं संयुक्त हो गुरु बनाती हैं. या, ग्यारहवी, बारहवी और तेरहवी मात्रा लघु लघु लघु होती हैं. 

सम चरण का अंत गुरु लघु से होता है. यानि सम चरण की नवमी और दसवीं मात्राएँ संयुक्त हो गुरु का निर्माण करती हैं; तथा, ग्यारहवीं मात्रा लघु होती है. दोहों से सम्बन्धित अन्य तथ्यों की ओर इशारा न कर बेसिक नियमों का हवाला दे रहा हूँ.

अब हम उपरोक्त दोहों के चरणों की मात्राएँ गिन लें. बात स्पष्ट हो जायेगी. 

आदरणीय, इस मंच पर दोहों के ऊपर बहुत कुछ लिखा जा चुका है. हम उन लेखों को पढ़ जायँ. आयोजनों में विशेषकर ’चित्र से काव्य तक’ में छंदों पर खूब चर्चाएँ हुई हैं. उक्त आयोजन में दोहों पर अधिक प्रविष्टियाँ आयी हैं. प्रतिक्रियाओं के माध्यम से भी छंदों में विशेषकर दोहों में कथ्यों और तथ्यों का मुखर आदान-प्रदान हुआ है. हम उन आयोजनों के पृष्ठ भी देखते-पलटते रहें. सभी आयोजन सनद की तरह आज भी हम सभी के बीच हैं.

सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 4, 2012 at 9:03am

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी हार्दिक आभार आपका, आपकी धनात्मक एवेम कुछ सन्देश देती टिपण्णी मुझे बहुत प्रोत्साहित करती है | आपकी यह टिपण्णी "छंद-विधा को जान लेने के बाद समझौते न किया करें" बेहद मायने रखती है,कृपया इसे रचना पर सुझाव/संशोधन बताकर लाभान्वित करे |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2012 at 10:45pm

आपको दोहा छंद पर कोशिश करते देख कर  सुखद लगा, आदरणीय लक्षमणजी. 

छंद-विधा को जान लेने के बाद समझौते न किया करें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 2, 2012 at 6:18pm

रचना पसंद कर उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार भाई श्री अशोक कुमार रक्तालेजी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 2, 2012 at 4:12pm

आदरणीय

           सादर, नारी महिमा का गुणगान करती सुन्दर रचना के लिये बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रभाजी हार्दिक धन्यवाद प्रशंसा के लिए | "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service