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Naveen Mani Tripathi's Blog (306)

ग़ज़ल

हरी रंगत गुलाबी सुर्खरूं चेहरा मचल जाए ।

मेरी महफ़िल में आ जाओ मिरा रुतबा बदल जाए ।।



नजाकत से भरी नजरों से छलके जाम है तेरे ।

अंधेरी रात किस्मत में जरा सूरज निकल जाए ।।



बड़ी मासूमियत से कत्ल करने का हुनर तुझमे ।

मेरे कातिल चला शमसीर तेरा दिल बहल जाए ।।



हमारी हर कलम तो सिर्फ तेरी जीत लिखती है ।

तेरी जुल्फों के साये में चलो लिक्खी गजल जाए ।।



खुदा महफूज रक्खे उन रकीबों के नजारों से ।

कहीं ये वक्त से पहले न तेरा हुस्न ढल जाए… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 18, 2016 at 10:02pm — 12 Comments

ग़ज़ल: अंदाज कातिलों के बेहतरीन बहुत हैं

अंदाज कातिलों के बेहतरीन बहुत हैं ।

कुछ शख्स इस शहर में नामचीन बहुत हैं ।।



वो खैर मांगते रहे बुरहान की सदा।

उसकी दुआ में पेश हाज़रीन बहुत हैं ।।



आज़ाद मीडिया है अदावत का तर्जुमा ।

गुमराह हर खबर पे नाज़रीन बहुत हैं ।।



जब भी जला वतन तो जश्ने रात आ गयी ।

दैरो हरम के पास मजहबीन बहुत हैं ।।



मिटते हैं वही मुल्क बड़े जोर- शोर से ।

बैठे जहाँ घरों में फिदाईन बहुत हैं ।।



मेरी बलूच आसुओं पे जब नज़र गई ।

वो हुक्मरान देखिए…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on August 18, 2016 at 11:00am — 6 Comments

ग़ज़ल

रफ्ता रफ्ता जिंदगी की आरजू जाती रही ।

दरमियाँ तन्हाइयों के मौत कुछ गाती रही ।।



मत कहो वो बेवफा थी आसनाई में मिरे।

वो खयालो में मेरे यूँ रात भर आती रही।।





बारिशें मुमकिन कहाँ जो भीग जाते हम कभी ।

बनके सावन की घटा ता उम्र वो छाती रही ।।





रोज़ रुसवाई की चर्चा फ़िक्र का अपना शबाब।

मैं जलूँगी ख़ाक होने तक कसम खाती रही ।।





फिर समंदर ने गुजारिश की है लहरो से यहां।

साहिलों की तश्नगी पर जुल्म क्यों ढाती रही ।।…



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Added by Naveen Mani Tripathi on May 25, 2015 at 1:30am — 15 Comments

"प्रायश्चित" (कहानी )

      उन दिनों जमशेद पुर में फैक्ट्री में फोर्जिंग प्लांट पर मेरी ड्यूटी थी  फोर्जिंग  प्लांट अत्यंत व्यस्त हो चुके थे। मार्च के महीने में टार्गेट पूरा करने प्रेशर जोरो पर था । बिजली के हलके फुल्के फाल्ट को नजर अंदाज इसलिए कर दिया जाता था क्यों कि सिट डाउन लेने का मतलब था उत्पादन कार्य को बाधित करना जिसे बास कभी भी बर्दास्त नहीं कर सकते थे । फिर कौन जाए बिल्ली के गले में घण्टी बाँधने । जैसा चल रहा है चलने दो बाद में देखा जायेगा । सेक्शन में लाइटिंग की सप्लाई की केबल्स को बन्दरों ने उछल कूद…

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Added by Naveen Mani Tripathi on April 28, 2015 at 5:30pm — 4 Comments

गजल

रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण ओ बी ओ नियमों के आलोक में प्रबंधन स्तर से हटा दी गयी है.

एडमिन 

२०१५०३१९०७ 

Added by Naveen Mani Tripathi on March 17, 2015 at 9:00pm — 16 Comments

ग़ज़ल

रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण ओ बी ओ नियमों के आलोक में प्रबंधन स्तर से हटा दी गयी है.

एडमिन 

२०१५०३१९०७ 

 

Added by Naveen Mani Tripathi on March 16, 2015 at 11:30am — 13 Comments

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