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नाथ सोनांचली's Blog – July 2017 Archive (2)

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को समर्पित मुक्तक

हमेशा शिष्य का गुरु ही यहाँ पतवार बनता है|

कृपा उसकी अगर बरसे सफ़ल संसार बनता है||

मृदा का रूप अनगढ़ ही लिये फिरते यहां सारे |

पड़े जब थाप उसकी तो कोई आकार बनता है ||



सदा आदर करें गुरु का जो जाने सार भवसागर |

बिना जिसके भटकता है जहाँ हर बार भवसागर||

जलाये ज्ञान का दीपक जगाकर चेतना मन मे |

मिटाकर दोष जीवन का कराये पार भवसागर ||



मनुष्यों का मिलन जगदीश से गुरुवर कराते हैं|

नहीं जब सूझता कुछ हो नजर गुरुदेव आते हैं||

सखा बनते कभी हैं वो… Continue

Added by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 6:11pm — 18 Comments

याद आता तब ख़ुदा जब आसरा कोई न हो

बह्र 2122 2122 2122 212



बे असर हों सब दुआएँ,और दवा कोई न हो

याद आता तब ख़ुदा जब आसरा कोई न हो ||



क्यूँ छुपाती हुस्न अपना हर घड़ी पर्दानशी

हुस्न वो किस काम का गर देखता कोई न हो ||



एक ख़्वाहिश है मेरी यारो ख़ुदा के फ़ज़्ल से

शैर इक ऐसा कहूँ, जैसा कहा कोई न हो ||



कौन आया है यहाँ पीकर,बता आब-ए-हयात

कौन सा घर है बता जिसमें मरा कोई न हो ||



दोष देना हो किसी को,देख लो ख़ुद आइना

ये भी तो सम्भव है कि तुमसे बुरा कोई न हो… Continue

Added by नाथ सोनांचली on July 6, 2017 at 10:39pm — 24 Comments

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