212 212 212 212
आप जब आईने में सँवर जाएंगे ।
फिर तसव्वुर मेरे चाँद पर जाएंगे ।।1
गर इरादा हमारा सलामत रहा ।
तो सितारे जमीं पर उतर जायेंगे ।।2
आज महफ़िल में वो आएंगे बेनकाब ।
देखकर हुस्न को इक नज़र जाएंगे ।।3
आज मौसम हसीं ढल गयी शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब किधर जाएंगे ।।4
कीजिये बेसबब और इनकार मत ।
हौसले और मेरे निखर जाएंगे ।।5
जानकर क्या करेंगे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 30, 2018 at 6:43pm — 12 Comments
2122 1212 22
गुल जो सूखा किताब में देखा ।
आपको फिर से ख़्वाब में देखा ।।
बारहा चाँद की नज़ाक़त को ।
झाँक कर वह नकाब में देखा ।।
मैकदे में गया हूँ जब भी मैं ।
तेरा चेहरा शराब में देखा ।।
वस्ल जब भी लगा मुनासिब तो।
कोई हड्डी कबाब में देखा ।।
तोड़ पाता उसे भला कैसे ।
हुस्न उसका गुलाब में देखा ।।
डाल कर फूल राह में सबके ।
मैंने पत्थर जबाब में देखा ।।
लुट गईं रोटियां गरीबों…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 26, 2018 at 9:43pm — 16 Comments
2122 2122 212
जख्म देकर मुस्कुराना आ गया ।
आपको तो दिल जलाना आ गया ।।
काफिरों की ख़्वाहिशें तो देखिये ।
मस्जिदों में सर झुकाना आ गया ।।
दे गयी बस इल्म इतना मुफलिसी ।
दोस्तों को आजमाना आ गया ।।
एक आवारा सा बादल देखकर ।
आज मौसम आशिकाना आ गया ।।
क्या उन्हें तन्हाइयां डसने लगीं ।
बा अदब वादा…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 23, 2018 at 4:24pm — 19 Comments
2122 1122 1122 22
दे गया दर्द कोई साथ निभाने वाला ।
याद आएगा बहुत रूठ के जाने वाला ।।
जाने कैसा है हुनर ज़ख्म नया देता है ।
खूब शातिर है कोई तीर चलाने वाला ।।
उम्र पे ढल ही गयी मैकशी की बेताबी ।
अब तो मिलता ही नहीं पीने पिलाने वाला ।।
अब मुहब्बत पे यकीं कौन करेग़ा साहब ।
यार मिलता है यहां भूँख मिटाने वाला ।।
उसके चेहरे की ये खामोश अदा कहती है ।
कोई तूफ़ान बहुत जोर से आने वाला ।।
गम भी…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 19, 2018 at 3:56am — 11 Comments
2122 1212 22
नाम दिल से तेरा हटा क्या है ।
पूछते लोग माजरा क्या है ।।
नफ़रतें और बेसबब दंगे ।
आपने मुल्क को दिया क्या है ।।
अब तो कुर्सी का जिक्र मत करिए ।
आपकी बात में रखा क्या है ।।
सब उमीदें उड़ीं हवाओं में ।
अब तलक आप से मिला क्या है ।।
है गुजारिश कि आज कहिये तो ।
आपके दिल में और क्या क्या है ।।
दिल की बस्ती तबाह कर डाली ।
क्या बताऊँ तेरी ख़ता क्या…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 18, 2018 at 12:22pm — 14 Comments
बहुत बेचैन वो पाये गए हैं ।
जिन्हें कुछ ख्वाब दिखलाये गये हैं ।।
यकीं सरकार पर जिसने किया था ।
वही मक़तल में अब लाये गए हैं।।
चुनावों का अजब मौसम है यारों ।
ख़ज़ाने फिर से खुलवाए गए हैं ।।
करप्शन पर नहीं ऊँगली उठाना ।
बहुत से लोग लोग उठवाए गये हैं ।।
तरक्की गांव में सड़कों पे देखी ।
फ़क़त गड्ढ़े ही भरवाए गये हैं ।।
पकौड़े बेच लेंगे खूब आलिम ।
नये व्यापार सिखलाये…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 10, 2018 at 11:04pm — 13 Comments
कोई शिकवा गिला नहीं होता ।
तू अगर बावफ़ा नहीं होता ।।
रंग तुम भी बदल लिए होते ।
तो ज़माना ख़फ़ा नहीं होता ।।
आजमाकर तू देख ले उसको ।
हर कोई रहनुमा नहीं होता ।।
जिंदगी जश्न मान लेता तो ।
कोई लम्हा बुरा नहीं होता ।।
कुछ तो गफ़लत हुई है फिर तुझ से।
दूर इतना खुदा नहीं होता ।।
देख तुझको मिला सुकूँ मुझको ।
कैसे कह दूं नफ़ा नहीं होता ।।
दिल जलाने की बात छुप जाती ।
गर धुंआ कुछ उठा नहीं होता ।।
गर इशारा ही आप कर देते ।
मैं कसम…
Added by Naveen Mani Tripathi on June 10, 2018 at 2:15pm — 11 Comments
122 122 122 122
जरूरत नहीं अब तेरी रहमतों की ।
हमें भी पता है डगर मंजिलों की ।।
है फ़ितरत हमारी बुलन्दी पे जाना ।
बहुत नींव गहरी यहाँ हौसलों की ।।
अदालत में अर्जी लगी थी हमारी ।
मग़र खो गयी इल्तिज़ा फैसलों की ।।
भटकती रहीं ख़्वाहिशें उम्र भर तक ।
दुआ कुछ रही इस तरह रहबरों की ।।
उन्हें जब हरम से मुहब्बत हुई तो ।
सदाएं बुलाती रहीं घुघरुओं की ।।
न उम्मीद रखिये वो गम बाँट लेंगे…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 7, 2018 at 9:45pm — 14 Comments
2122 2122 212
लोग कब दिल से यहाँ बेहतर मिले ।
जब मिले तब फ़ासला रखकर मिले ।।
है अजब बस्ती अमीरों की यहां ।
हर मकाँ में लोग तो बेघर मिले ।।
तज्रिबा मुझको है सापों का बहुत ।
डस गये जो नाग सब झुककर मिले ।।
कर गए खारिज़ मेरी पहचान को ।
जो तसव्वुर में मुझे शबभर मिले ।।
मैं शराफ़त की डगर पर जब चला ।
हर कदम पर उम्र भर पत्थर मिले ।।
मौत से डरना मुनासिब है नहीं…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 6, 2018 at 3:38pm — 20 Comments
2122 2122 2122 212
मुद्दतों के बाद उल्फ़त में इज़ाफ़त सी लगी
। आज फिर उसकी अदा मुझको इनायत सी लगी ।।
हुस्न में बसता है रब यह बात राहत सी लगी ।
आप पर ठहरी नज़र कुछ तो इबादत सी लगी ।।
क़त्ल का तंजीम से जारी हुआ फ़तवा मगर
। हौसलों से जिंदगी अब तक सलामत सी लगी ।।
बारहा लिखता रहा जो ख़त में सारी तुहमतें ।
उम्र भर की आशिक़ी उसको शिक़ायत सी लगी ।।
मुस्कुरा कर और फिर परदे में जाना आपका ।
बस यही हरकत…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on June 4, 2018 at 11:03pm — 8 Comments
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |