मापनी 2122 1212 22/112
गर कहो तो जनाब हो जाऊँ
तुम जो देखो वो ख़्वाब हो जाऊँ
रोज पढ़ने का गर करो वादा
प्रेम की मैं क़िताब हो जाऊँ
मुझको काँटों से डर नहीं लगता
चाहता हूँ गुलाब हो…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on May 1, 2020 at 12:30pm — 6 Comments
श्रमिक दिवस पर श्रमजीवी को आओ शीश झुकाएँ।
बलाक्रान्त शोषित निर्बल को मिलकर सभी बचाएँ।
दुरित दैन्य दुख झेल रहे हैं
सदा मौत से खेल रहे हैं।
तृषा तपन पावस तुसार सह
जीवन नौका ठेल रहे हैं।
हर सुख से जो सदा विमुख हो उस पर बलि-बलि जाएँ।
निर्मित जो करता नवयुग तन,उसे नहीं ठुकराएँ।
आजीवन कटु गरल पी रहे
दुर्धर जीवन सभी जी रहे।
हाँफ-हाँफ कर विदीर्ण दामन
जीने के हित सदा सी रहे।
कर्म निरत गुरु गहन श्रमिक…
ContinueAdded by डॉ छोटेलाल सिंह on May 1, 2020 at 11:30am — 8 Comments
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