चाँद बसे आकाश में , फिर भी लगता पास | |
मंजिल कितनी दूर हो , रहे मिलन की आस | |
जब ऊँची उडान भरो , दुनिया में हो नाम | |
सब को अच्छी राह का , सदा मिले पैगाम… |
Added by Shyam Narain Verma on April 30, 2013 at 12:01pm — 8 Comments
जागो भारत माँ के जवान , सीमा पर बैरी आया | |
और अधिक पाने की चाहत , बढ़ने का राह दिखाया | |
दोस्त का दिखावा करके ही , अपना वो जाल बिछाया | |
सखा की ही नियत बिगड़ी जब , भाई को भी भूलाया | … |
Added by Shyam Narain Verma on April 29, 2013 at 3:27pm — 6 Comments
दहाड़ते चलो सभी रण में , मारो दुश्मन को ललकार | |
आगे बढ लक्ष्मी बाई सा , रोको इनका अत्याचार | |
मानव ना ये दानव सा हैं , करते पशुवो सा व्यवहार | |
रोने धोने का काम नहीं , देख करो इनका संहार | … |
Added by Shyam Narain Verma on April 26, 2013 at 11:38am — 5 Comments
छोड़ पाप मन का , सत पथ पर चल , लफडा करना , अब छोडो | |
तज काम क्रोध को , छोड़ लोभ मद , हरी भजन में , मन जोड़ो | |
लोग शिक्षा पायें , ज्ञान कमायें , प्रेम बढायें , हर जन में | |
जहाँ लोग देखें , खुश हो जायें , बस ऐसे बन , हर मन… |
Added by Shyam Narain Verma on April 24, 2013 at 3:25pm — 4 Comments
बहते अश्कों ने दिल दुखाया है | |
गम की गली में कोई आया है | |
गमगीन चेहरे की क्या कहिये , |
किसी ने हँसते को रुलाया है | |
खिला फूल मुरझाया है अब तो ,… |
Added by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 5:52pm — 4 Comments
चलो मुसाफिर देख लो , कहाँ होगा गुजार | |
ना दे सहारा कोई , फिर से करो विचार | |
खंजर मारें पेट में , दूर से मेहमान | |
देख चिच्लाते चीखते, खुश हों बेईमान | |
अब किस पर यकीन करे,… |
Added by Shyam Narain Verma on April 20, 2013 at 3:07pm — 3 Comments
मेरे साजन घर ना आये , सूना सूना लागे | |
जब से छोड़ कर गये विदेश , घर में मन ना लागे | |
दिन में कहीं चैन ना आये , रतिया बीते जागे | |
उनके बिना कुछ ना सुहाये , नैनन निद्रा भागे | |
आकर… |
Added by Shyam Narain Verma on April 18, 2013 at 1:11pm — 3 Comments
जो जग में सब को ले आती , जननी महिमा अपरम्पार | |
जग में यदि माँ ही ना होती , चल ना पाता ये संसार | |
जलचर थलचर या नभचर हो , माँ सबकी है पालनहार | |
जननी से ही ये दुनिया है , ना तो सब कुछ है बेकार |… |
Added by Shyam Narain Verma on April 17, 2013 at 11:41am — 3 Comments
जिसे हमने देवता माना , सरेआम डूबा डाला | |
जवानी जिस पर लूटा दिया , छोड़ शादी रचा डाला | |
दिल से जिसको पूजा हमने , हमें मिट्टी बना डाला | |
कसमें वादों की… |
Added by Shyam Narain Verma on April 15, 2013 at 3:00pm — 7 Comments
जागे रहते वीर जवान | |
जान हथेली पर ले चलते , भारत माँ के वीर जवान | |
देश दुनिया शांती चाहते , मेरा देश कितना महान | |
छुप छुप कर बैरी वार करें , मुश्किल में दे देते जान | |
सात समुंदर… |
Added by Shyam Narain Verma on April 13, 2013 at 11:43am — 9 Comments
जाल में पडी मछली रोये -कविता | |
सागर में भी तडपे मछली , जब लहरों में फँस जाये | |
जाल डाले आते शिकारी , फिर उनसे कौन बचाये | |
साथ नहीं देता जब कोई , फिर आशा कौन दिलाये | |
जब फँस गयी… |
Added by Shyam Narain Verma on April 12, 2013 at 3:14pm — 8 Comments
घरनी -कविता | |
सदा चैन की बंशी बजती , जब घर में खुशहाली हो | |
जंगल में मंगल हो जाता , साथ अगर घरवाली हो | |
एक म्यान में दो तलवारें , चैन कहाँ मिल पायेगा | |
यदि यार का दखल हो घर में ,… |
Added by Shyam Narain Verma on April 10, 2013 at 11:12am — 7 Comments
इल्जाम |
किस्मत का खेल है अनोखा , कोई हँसता या रोता | |
जब कोई इल्जाम लगाये , किसी की नाव डूबोता | |
सदा नीचा दिखाये बैरी, कल बल छल हरदम ढोता | |
तड़पते देख खुश होता है , चैन की नींद न… |
Added by Shyam Narain Verma on April 8, 2013 at 5:00pm — 3 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |