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माँ के बिना सब कुछ अधूरा |

जो जग में सब को ले आती , जननी महिमा अपरम्पार  |
जग में यदि माँ ही ना होती , चल ना पाता ये संसार |
जलचर थलचर या नभचर हो , माँ सबकी  है पालनहार |
जननी से ही ये दुनिया है , ना  तो सब कुछ है बेकार |
माँ के बिना सब कुछ अधूरा , गोद  में करता शिशु विहार |
जागे सोये दूध पिलाये , हर गम लेने को तैयार |
देख रोते को चुप कराये , खुश करने रहे बेकरार |
आँचल में छुपा कर सुलाती , आ लगे ना कोई बयार |
मैल कहीं रहने ना पाये , बदन साफ़ करती दिन रात |
भीगे में खुद सो जाती है , गिला करे शिशु कोई बात |
उंगली पकड़ चलना सिखाये , खुश होती जब आते दाँत |  
जुदा नहीं करती बच्चे को , हरदम रखती अपने साथ |
माँ कर्ज कोई भर ना सके , हो कोई कितना बलवान  | 
बूढ़ा भी माँ का बेटा है , भले ही  कितना हो महान |
सबकी माँ धरा से बड़ी है , उसकी कदर करता जहान | 
वर्मा माँ की पूजा करना  , सदा खुश रखे हर संतान |
श्याम नारायण वर्मा 

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 22, 2013 at 8:14pm

आदरणीय श्याम नारायन जी सादर, बहुत सुन्दर रचना है सच है माँ के बारे में जीतना लिखा जाए कम है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

"जननी से ही ये दुनिया है , ना  तो सब कुछ है बेकार |" ना तो  की जगह वरना लिखा जाए तो प्रवाह सुन्दर बन जाएगा. सादर.

Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 8:14pm

सबकी माँ धरा से बड़ी है , उसकी कदर करता जहान |  वर्मा माँ की पूजा करना  , सदा खुश रखे हर संतान
बहुत सच्चाई से  बयान किया आपने आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 10:07am

माँ के बारे में जितना लिखा जाए कम है, माँ बिन नहीं मान किसी का 

माँ के प्रति जितनी श्रद्धा रखे कम ही है,  माँ बिन नहीं सार जीवन का 

माँ की महिमा के प्रति बखान करे कम है, माँ बिन नहीं कल्याण किसी का 

माँ की जितनी सेवा की जावे कम है,  माँ बिन नहीं आधार जगत का |

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