Added by रवि बेक on February 20, 2011 at 9:02am — No Comments
एक नई सफर की शुरूआत
हम बच्चे मन के सच्चे आँखो के तारे सबके प्यारे कैसे देखते देखते ही बढ़ जाते हैँ पता ही नहीँ चलता। ऐसे ही धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते हम भी अपने दादा-दादी जैसे बुढ़े हो जाएगे। असहाय हो जाएँगे। मेरी नानी जो लगभग 1916 ई॰ के आस पास जन्मी होगी अब उसी पड़ाव मे पहुँच चुकी जिसे दूसरा बचपन कहा जाता है। उनकी बाते उनकी हरकते एकदम छोटे बच्चो जैसी हो गई है। छोटे बच्चो से जैसे प्यार का अनुभव मिलता है उसी तरह इन बुढ़ो से भी मिलता…
Added by रवि बेक on February 19, 2011 at 1:30pm — No Comments
Added by neeraj tripathi on February 19, 2011 at 12:52pm — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on February 18, 2011 at 11:13pm — No Comments
Added by R N Tiwari on February 18, 2011 at 10:46pm — No Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 18, 2011 at 9:12pm — No Comments
कुछ आंसू छुपाके रखे थे मैंने..
Added by Lata R.Ojha on February 18, 2011 at 8:10pm — No Comments
(1) समारू - न्यायालय ने ए. राजा को घर की दवा तथा खाना खाने की अनुमति दी है।
पहारू - ए. राजा के पास खाने के लिए नोटों की गड्डी है, ना।
(2) समारू - असम में मुख्मंत्री व मंत्रियों से अधिक संपत्ति उनकी पत्नियों के पास है।
पहारू - मंत्रियों की कमाई पर पहला अधिकार तो उन्हीं का है।
(3) समारू - प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि मैं मजबूर हूं, मेरा कोई नहीं सुनता।
पहारू - हम जैसे गरीबों का भी कौन सुनता है ????
(4) समारू - छग सरकार कह रही है,…
Added by rajkumar sahu on February 18, 2011 at 11:22am — No Comments
Yaron ne ruswa kiya, Ishk ne gham diya, Imtihanon ne toh kahin ka na chhoda,
tab khuda tera khayal aya , ab teri inayat karta hun mai , ab tujhse guzarish karta hu main, yaron ne toh choda hai , par tune kisko chhoda hai, ab meri fariyad sun le tu, ab beda paar kar de tu, jo beet gaya sab bhul chuka , fir se bigdi bana de tu, ek naya…
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 18, 2011 at 10:41am — 1 Comment
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 18, 2011 at 10:35am — No Comments
Added by rajkumar sahu on February 17, 2011 at 6:09pm — No Comments
जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..
- शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"
ये घर दरो दीवार सब तरसेंगे
जब बर्तन खन…
ContinueAdded by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 17, 2011 at 5:00am — 18 Comments
एक ग़ज़ल
धुंधले हैअक्स सारे,कुछ तो दिखाइये
इस बोदे आईने को थोडा हटाइये
सावन के आप अंधे,दीखेगा ही हरा
रुख दूसरे के जानिब चेहरा घुमाइये
अरायजनवीस लाखों जीते तो मिल गये
अब हार की सनद ये किस से लिखाइये
कैसे करेंगे अब हम खेती गुलाब की
गमलों की है रवायत,कैक्टस उगाइये
खाली हुई चौपाल और उजड़ा हुआ अलाव
हुक्का है…
ContinueAdded by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 1:09am — 1 Comment
आंधी थी जो कर गयी,आँगन आँगन रेत
आई थी तो जायेगी,कहाँ रेत को हेत
रात चांदनी दूर तक टीलों का संसार
अळगोजे*की तान में बिखरा केवल प्यार
हडकम्पी जाड़ा पड़े,चाहे बरसे आग
सहज सहेजे मानखा माने सब को भाग
सतरंगी है ओढ़नी,पचरंगी है पाग
जीवन चाहे रेत हो मनवा खेले फाग
सुबह हुई कुछ और था,सांझ हुई कुछ और
आदम की नीयत हुआ,इन टीलों का तौर
…
ContinueAdded by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 12:49am — No Comments
Added by rajkumar sahu on February 17, 2011 at 12:23am — No Comments
Added by Ratnesh Raman Pathak on February 16, 2011 at 6:42pm — No Comments
‘शीशी-बोतल तोड़ दो, दारू पीना छोड़ दो’, ‘शराब दुकान हटाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ’, ‘सरकार को जगाना है, नशामुक्त समाज बनाना है’ जैसे कई नारे लगाते हुए नवागढ़ की सैकड़ों महिलाएं शराब दुकान बंद कराने सड़क पर उतर आईं। महिलाआंे ने कचहरी चौक जांजगीर से रैली की शुरूआत की, जो विवेकानंद मार्ग होते हुए बीटीआई चौक पहुंची और फिर कलेक्टोरेट पहुंची। यहां कलेक्टर को महिलाओं ने एक ज्ञापन सौंपा और शराब दुकान को अगले वित्तीय वर्ष से बंद कराने की मांग की। यहां कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र ने मामले में राज्य षासन को अवगत कराने…
ContinueAdded by rajkumar sahu on February 16, 2011 at 12:47pm — No Comments
तब और अब
कुशल छेम पूछत रहे , दिल में राखी सनेह I
चले गए वे लोग सब, तजि मानुष के देह II
समय समय का खेल यह, भला बुरा न होय I
कारन सदा अदृश्य है, जानि सके न कोय II
चला गया सो चला गया , वर्तमान को जान I
आगे क्या फिर आएगा , उसको भी पहचान…
Added by R N Tiwari on February 16, 2011 at 12:17pm — No Comments
Added by Bhasker Agrawal on February 15, 2011 at 9:30pm — No Comments
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