For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Veena Gupta
Share on Facebook MySpace

Veena Gupta's Groups

 

Welcome, Veena Gupta

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Veena Gupta's blog post सरल जीवन
"आ. वीणा जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।"
Mar 14, 2022
Veena Gupta commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post नवयुग की नारी (गीत)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"सुंदर ,भावपूर्ण ,यथार्थ दर्शाती रचना "
Mar 10, 2022
Veena Gupta posted a blog post

सरल जीवन

अब न रहे वो चाँदी से दिन,सोने सी वो रातें हैं बाबुल का वो प्यारा अंगना,सपनो की सी बातें हैं इसी अंगने मेंभाई बहन संग ,खेल कूद कर बड़े हुए संग संग खाना,लड़ना झगड़ना,अब बस मीठी यादें हैं चैन न था इक पल जिनके बिन,जाने कैसे बिछुड़ गए अब सब अपनी अपनी उलझन अलग अलग सुलझाते हैं चाहे कितना हृदय दग्ध हो,चाहे कितना बड़ा हो संकटहम तो बिल्कुल ठीक ठाक हैं,सदा यही दर्शाते हैं इस दिखावटी युग में यदि हम,हृदय खोल सुख दुःख बाटें निश्चय सरल जीवन होगा,सम्भव है निज ख़ुशियाँ फिर से पा जाएँ मौलिक /अप्रकाशित See More
Mar 4, 2022
Veena Gupta commented on Veena Gupta's blog post आज का सच
"अमीर जी रचना की सराहना के लिये धन्यवाद ।आप सब सुधिजनों की सराहना से ही हिम्मत अफजाई होती है।पुनः शुक्रिया "
Dec 4, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Veena Gupta's blog post आज का सच
"मुहतरमा वीणा गुप्ता जी आदाब, यथार्थता पर आधारित अच्छी रचना हुई है बधाई स्वीकार करें। सादर। "
Dec 4, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Veena Gupta's blog post मिथ्या जगत
"आ. ऊषा जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Dec 2, 2021
Veena Gupta posted a blog post

आज का सच

लव यू -लव यू कहते रहो ,मिस यू -मिस यू जपते रहो पीठ फिरे तो गो टू हैल ,नारा भी बुलंद करो नहीं रहे वो सच्चे रिश्ते ,प्यार जहां पर पलता था आज के रिश्ते बस एक छलावा,सबकुछ एक दिखावा है मात-पिता का प्यार भी अब ,लगता ज़िम्मेदारी है भाई बहन का प्यार अब बस एक नातेदारी है रिश्तों का जहां मान नहीं ,कैसा युग ये आया है कहते हैं वे हमें पुरातन ,पर नवयुग से क्या पाया है ?पति-पत्नी के रिश्तों की भी ,गरिमा अब है कहाँ बची नित होते तलाक़ों ने,परिवारों का सुख चैन मिटाया है घायल होता बच्चों का मन,छिन जाता उनका…See More
Nov 30, 2021
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव commented on Veena Gupta's blog post मिथ्या जगत
"आदरणीया"
Nov 21, 2021
Veena Gupta posted a blog post

मिथ्या जगत

मिथ्या अगर जगत ये होता ,क्यूँ कर इसमें आते हम देवों को भी जो दुर्लभ है ,वह मानुष जन्म क्यों पाते हम ज्ञानी जन बस यही बताते ,मिथ्या जग के सुख दुःख सारे पर इस जग में आ कर ही तो ,मोती ज्ञान के पाए सारे ईश्वर की अद्भुत रचना ये सृष्टि ,नहीं जानता कोई कुछ भी फिर भी ज्ञान सभी जन बाटें ,मानो स्रषटा हैं बस वे ही  जगत सत्य है या है मिथ्या ,क्यूंकर इसपर करें बहस ईश्वर प्रदत्त अमूल्य जीवन को ,जिएँ सभी हम जी भरकर उस अद्भुत कारीगर की ,रचना में कोई त्रुटि नहीं जिसका जैसा भाव है होता ,उसको बस मिलता है वही जगत…See More
Nov 19, 2021
Samar kabeer commented on Veena Gupta's blog post मुस्कुराहटें
"मुहतरमा वीणा गुप्ता जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sep 6, 2021
Veena Gupta posted a blog post

मुस्कुराहटें

कहते हैं सब यही ,बस मुस्कुराते रहिए लेकिन जनाब बड़ी शातिर होती है ये मुस्कुराहट दिल का सुकून होती है,किसी की मुस्कुराहट तो चैन छीन लेती दिलों का ,कोई मुस्कुराहट प्यार का दरिया बहाती बच्चे की मासूम मुस्कुराहट और विचलित कर जाती मन को,व्यंग भरी मुस्कुराहट ना जाने क्यों लोग बेवजह भी मुस्कुराते हैं ना जाने कौन सा ग़म उस हंसी में छुपाते हैं कभी ख़ुशी से खिलखिलाते चेहरेनमी आँखों की बन आंसू ले आते हैं तो दोस्तों ये मुस्कुराहट बड़ी फ़ितरती है जो सिर्फ़ ख़ुशी नहीं,ग़म का भी इज़हार करती है कभी छू जाती है…See More
Sep 5, 2021
Veena Gupta commented on Veena Gupta's blog post आंखें
"स्नेही धामी जी ,आभार आपका"
Jul 10, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Veena Gupta's blog post आंखें
"आ. वीणा जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Jul 10, 2021
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Veena Gupta's blog post आंखें
"आदरणीया वीणा गुप्ता जी आदाब, अद्भुत। आँखों की विभिन्न भाव-भंगिमाओं का सुन्दर और सजीव चित्रण किया है आपने, ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें। सादर।"
Jun 30, 2021
Veena Gupta posted a blog post

आंखें

आंखें आंखें अद्भुत आंखें,नित नए रूप बदलती आंखेंसबकुछ कहतीं पर चुप रहतीं,नित नए रूप दिखाती आंखें कहीं तो ज्वालामुखी हैं आँखें,कहीं झील सी गहरी आंखें मंद मंद मुस्काती आँखें,कहीं उपहास उडा़ती आंखें हिरनी सी चंचल ये आँखें,डरी डरी सहमी सी आंखें लज्जा से भरी अवगुंठित आँखें,फिर टेढी चितवन वाली आंखें कहीं प्यार बरसाती आंखें,कहीं पर सबक सिखाती आंखें ममता भरी वो भीगी आँखें,सजदे में झुक जाती आंखें क्रोध से लाल धधकती आँखें,मेघों सी वो बरसती आंखें दैन्य भाव दर्शाती आंखें,हठ और गर्व भरी वो आंखें एक दृष्टि…See More
Jun 29, 2021
Veena Gupta commented on Veena Gupta's blog post मेरा भारत
"स्नेही चेतन जी,धामी जी,एवं समीर जी आप सभी का बहुत बहुत आभार.चेतन जी आपके सुझाव का स्वागत है आगे भी अपना योगदान देते रहें "
Jun 28, 2021

Profile Information

Gender
Female
City State
Lucknow
Native Place
India
Profession
House wife
About me
I live in Lucknow but last year my husband passed away so I am here with my son

Mera desh

हिंदुस्तानी नाम है मेरा,हिंदी है मेरी पहचान

भरतमाता माँ है मेरी,बसते जिसमें मेरे प्राण

प्राण बिना ज्यों व्यर्थ है जीवन,तन हो जाता है निष्प्राण

भारतीय कहलाने में ही,दुनिया में है मेरी शान

मानो या ना मानो पर,भारत है दुनिया का दिल

देख सको तो देखो,आकार भी दिल जैसा बिल्कुल

मौलिक ऐवम अप्रकाशित

           वीणा

Veena Gupta's Photos

  • Add Photos
  • View All

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!

Veena Gupta's Blog

सरल जीवन

अब न रहे वो चाँदी से दिन,सोने सी वो रातें हैं 

बाबुल का वो प्यारा अंगना,सपनो की सी बातें हैं 

इसी अंगने मेंभाई बहन संग ,खेल कूद कर बड़े हुए 

संग संग खाना,लड़ना झगड़ना,अब बस मीठी यादें हैं 

चैन न था इक पल जिनके बिन,जाने कैसे बिछुड़ गए 

अब सब अपनी अपनी उलझन अलग अलग सुलझाते हैं 

चाहे कितना हृदय दग्ध हो,चाहे कितना बड़ा हो संकट

हम तो बिल्कुल ठीक ठाक हैं,सदा यही दर्शाते हैं 

इस दिखावटी युग में यदि हम,हृदय खोल सुख दुःख बाटें 

निश्चय सरल…

Continue

Posted on March 4, 2022 at 12:30am — 2 Comments

आज का सच

लव यू -लव यू कहते रहो ,मिस यू -मिस यू जपते रहो 

पीठ फिरे तो गो टू हैल ,नारा भी बुलंद करो 

नहीं रहे वो सच्चे रिश्ते ,प्यार जहां पर पलता था 

आज के रिश्ते बस एक छलावा,सबकुछ एक दिखावा है 

मात-पिता का प्यार भी अब ,लगता ज़िम्मेदारी है 

भाई बहन का प्यार अब बस एक नातेदारी है 

रिश्तों का जहां मान नहीं ,कैसा युग ये आया है 

कहते हैं वे हमें पुरातन ,पर नवयुग से क्या पाया है ?

पति-पत्नी के रिश्तों की भी ,गरिमा अब है कहाँ बची 

नित होते तलाक़ों…

Continue

Posted on November 30, 2021 at 1:09am — 2 Comments

मिथ्या जगत

मिथ्या अगर जगत ये होता ,क्यूँ कर इसमें आते हम 

देवों को भी जो दुर्लभ है ,वह मानुष जन्म क्यों पाते हम 

ज्ञानी जन बस यही बताते ,मिथ्या जग के सुख दुःख सारे 

पर इस जग में आ कर ही तो ,मोती ज्ञान के पाए सारे 

ईश्वर की अद्भुत रचना ये सृष्टि ,नहीं जानता कोई कुछ भी 

फिर भी ज्ञान सभी जन बाटें ,मानो स्रषटा हैं बस वे ही  

जगत सत्य है या है मिथ्या ,क्यूंकर इसपर करें बहस 

ईश्वर प्रदत्त अमूल्य जीवन को ,जिएँ सभी हम जी भरकर 

उस अद्भुत कारीगर की ,रचना…

Continue

Posted on November 19, 2021 at 4:43am — 3 Comments

मुस्कुराहटें

कहते हैं सब यही ,बस मुस्कुराते रहिए 

लेकिन जनाब बड़ी शातिर होती है ये मुस्कुराहट 

दिल का सुकून होती है,किसी की मुस्कुराहट 

तो चैन छीन लेती दिलों का ,कोई मुस्कुराहट 

प्यार का दरिया बहाती बच्चे की मासूम मुस्कुराहट 

और विचलित कर जाती मन को,व्यंग भरी मुस्कुराहट 

ना जाने क्यों लोग बेवजह भी मुस्कुराते हैं 

ना जाने कौन सा ग़म उस हंसी में छुपाते हैं 

कभी ख़ुशी से खिलखिलाते चेहरे

नमी आँखों की बन आंसू ले आते हैं 

तो दोस्तों ये…

Continue

Posted on September 5, 2021 at 12:41am — 2 Comments

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
12 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Jul 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service