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सुरेश कुमार 'कल्याण'
  • Male
  • कैथल (हरियाणा)
  • India
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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Discussions

दीवाली

*कुंडलियां*हर घर की मुंडेर पर,दीप जले चहुँ ओर।दीवाली की रात है,बाल मचाएं शोर।बाल मचाएं शोर,शोर ये बड़ा सुहाना।भूलचूक सब भूल,रहा लग गले जमाना।खाओ रे *'कल्याण',* मिठाई डिब्बे भर - भर।खुशियाँ मिली…Continue

Started Oct 23, 2022

 

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Page

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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन की बात .. गल शब्द वस्तुतः गला है.  जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात। जर्रा - जर्रा नींद में , ऊँघ रहा मदहोश। सन्नाटे को चीरती, सरसर बहती…"
Aug 4

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में निबद्ध प्रस्तुत रचना अपनी भाषा हिंदी के बावजूद अपने क्रिया-विशेषण आंचलिक भाषा से उधार ले रही है। यह पुरानी हिंदी की रचनाओं का स्मरण कराती है जब…"
Aug 4

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर थहराये हुए मन के हैं, जहाँ अदम्य जीजिविषा भी थक-हार कर निष्प्राण हो चुकी होती है। समाज की इकाई परिवार, परिवार की इकाई व्यक्ति, हर तरह से टूट कर मृत हो…"
Aug 4
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे उत्सव अपने आएंगे अपनेपन का जामा पहनमगरमच्छ के आँसू बहाते हुए नहीं बची होगी कोई बूॅंद तब तक निचोड़ने को अपने - पराए कीबचा होगा केवल सूखे ठूॅंठ सानिर्जिव अस्थिपिंजर ।मौलिक एवं अप्रकाशित See More
Jul 29
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"परम आदरणीय सौरभ पांडे जी व गिरिराज भंडारी जी आप लोगों का मार्गदर्शन मिलता रहे इसी आशा के साथ हार्दिक आभार ।"
Jul 26

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"वाह वाह  आदरणीय, आपकी इस प्रस्तुति पर पुन: आऊँगा।  शुभातिशुभ"
Jul 25
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ , सौड़ काँटों का बिस्तर ।लालच के वश होत , स्वर्ग सा जीवन बदतर ।खाते सब 'कल्याण', भाग्य का नभ थल जलचर ।जब देते भगवान , नहीं फिर लगता पलभर ।मौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Jul 24
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Jul 20
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Jul 20
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती वर्षा पार, चमकते गिरकर ओले। झिल्ली की झंकार, कान के पर्दे खोले। सजी आज 'कल्याण', घटा अम्बर में काली। छतरी छप्पर बूँद, साथ सुंदर…"
Jul 19

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
Jul 18
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में , ऊँघ रहा मदहोश।सन्नाटे को चीरती, सरसर बहती वात।मेघ चाँद को ढाँपते , ज्यों पशमीना शाल।परिवर्तन संदेश दे , चमकें तारे सात।हूक हृदय में ऊठती, ज्यों चकवे की प्यास।छत पर छिटकी चाँदनी, बेकाबू जज़्बात।बिजना था हर हाथ में, सभी सुखी थेझोल।गलियों में ही खाट पर, सोता था देहात।दिनभर धधके मेदिनी, ज्यों धवनी की आग।शिकवा करके चाँद से, पाती शुभ सौगात।नहा रहे ज्यों दूध से, फैल रही हो फैन।शबनम बरसे रौप्य सी, तर हों तन…See More
Jul 14

Profile Information

Gender
Male
City State
हरियाणा
Native Place
कैथल
Profession
प्राध्यापक (हिन्दी)

सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के 

पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त 

डकारकर कतरा - कतरा मज्जा

जब जानवर मना रहे होंगे उत्सव 

अपने आएंगे अपनेपन का जामा पहन

मगरमच्छ के आँसू बहाते हुए 

नहीं बची होगी कोई बूॅंद तब तक 

निचोड़ने को अपने - पराए की

बचा होगा केवल सूखे ठूॅंठ सा

निर्जिव अस्थिपिंजर ।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Posted on July 29, 2025 at 3:57pm — 2 Comments

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।

युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।

घुसें समझ कर सौड़ , सौड़ काँटों का बिस्तर ।

लालच के वश होत , स्वर्ग सा जीवन बदतर ।

खाते सब 'कल्याण', भाग्य का नभ थल जलचर ।

जब देते भगवान , नहीं फिर लगता पलभर ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on July 24, 2025 at 2:22pm — 3 Comments

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।

जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।

जर्रा - जर्रा नींद में , ऊँघ रहा मदहोश।

सन्नाटे को चीरती, सरसर बहती वात।

मेघ चाँद को ढाँपते , ज्यों पशमीना शाल।

परिवर्तन संदेश दे , चमकें तारे सात।

हूक हृदय में ऊठती, ज्यों चकवे की प्यास।

छत पर छिटकी चाँदनी, बेकाबू जज़्बात।

बिजना था हर हाथ में, सभी सुखी थे

झोल।

गलियों में ही खाट पर, सोता था देहात।

दिनभर…

Continue

Posted on July 14, 2025 at 8:30pm — 5 Comments

दोहा सप्तक

दोहा सप्तक

----------------

चिड़िया सोने से मढ़ी, कहता सकल जहान।

होड़ मची थी लूट लो, फिर भी रहा महान।1। 

कृष्ण पक्ष की दशम तिथि, फाल्गुन पावन मास।

दयानंद अवतार से, अंधकार का नास।2। 

टंकारा गुजरात में, जन्में शंकर मूल।

दयानंद बन बांटते, आर्य समाज उसूल।3।

जोत जगाकर वेद की, दिया विश्व को ज्ञान।

त्याग योग संस्कार ही, भारत की पहचान।4। 

कहा वेद की भाष में, श्रेष्ठ गुणों को धार।

लक्ष्य…

Continue

Posted on February 23, 2025 at 3:30pm — 3 Comments

Comment Wall (4 comments)

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At 11:37pm on July 5, 2016, asha jugran said…

आद.सुरेश कुमार जी ,आपकी  कविताओं में  खूबसूरत बहाव है.सहजता है जो हर पाठक से  सहज में  जुड़  जाती  है. 

At 12:44pm on June 18, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय

सुरेश कुमार 'कल्याण'  जी,

सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
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सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 12:27am on May 5, 2016, स्वाति सोनी 'मानसी' said…
सादर धन्यवाद सुरेश कुमार कल्याण सर :)
At 9:17pm on April 11, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
सुस्वागतम्!
 
 
 

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