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सचिन कुमार
  • Male
  • Bihar
  • India
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"जनाब सचिन कुमार जी आदाब, ख़ूबसूरत भाव के साथ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।"
Dec 5, 2020
Samar kabeer commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"मिन्हाँ"
Dec 3, 2020
Samar kabeer commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"तहज़ीब हाफ़ी की ग़ज़ल में 'मिन्हा' नहीं "मिन्हहाँ" शब्द है ।"
Dec 3, 2020
सचिन कुमार commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"मिन्हा शब्द तो उर्दू का ही है...एक ग़ज़ल में पढ़ा था ...ख्वाबों को आंखों से मिन्हा करती है...नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है...तहजीब हाफी की ग़ज़ल में पढ़ा था....हो सकता है इसका सही प्रयोग नही हुआ हमसे...लाफ़ानी में ला की मात्रा नहीं गिराई जा सकती..इसपर और…"
Dec 3, 2020
Samar kabeer commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"// क्या हम इसमे लाफ़ानी को 122 नही ले सकते है// 'लाफ़ानी' को 122 पर नहीं ले सकते । 'मिन्हा' शब्द किस भाषा का है?"
Dec 3, 2020
सचिन कुमार commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"ये मेरा पहला प्रयास था ...आप गुणी जनों इसे बस पढकर सार्थक कर दिया....समर सर मेरी गलतियों को गिनाने का शुक्रिया आगे से और सीखकर फिर लिखूंगा.....मिन्हा का अर्थ मैंने घटकर कम होना, अलग होना ये लिया है....अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं.... क्या हम…"
Dec 3, 2020
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"आ. भाई सचिन जी, अच्छी गजजल हुई है । हार्दिक बधाई ।"
Dec 3, 2020
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"ग़ज़ल भावपूर्ण है मित्र...आदरणीय समर जी ने सार्थक समीक्षा की है।"
Dec 2, 2020
Samar kabeer commented on सचिन कुमार's blog post ग़ज़ल
"जनाब सचिन जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'नींद आंखों से हुई है आज मिन्हा' इस मिसरे में 'मिन्हा' का अर्थ बताने का कष्ट करें । 'अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं' ये मिसरा बह्र में नहीं है,…"
Nov 29, 2020
सचिन कुमार posted a blog post

ग़ज़ल

2122 2122 2122बहते दरिया की रवानी लिख रहे हैंसब यहाँ अपनी कहानी लिख रहे हैंआंसुओं से बह रहा मेरे लहू औ'आप हैं जो इनको पानी लिख रहे हैंनींद आंखों से हुई है आज मिन्हाचोट हम कोई पुरानी लिख रहे हैंकह नहीं पाते थे तुमसे जो कभी वोबात गज़लों की जुबानी लिख रहे हैंतू अलग होकर भी मुझसे ही जुड़ी हैअपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैंजो चलाये थे कभी बरसात में हमकश्ती औ' बारिश का पानी लिख रहे हैंजो सुनाती थी मुझे गोदी में अपनेअम्मा लोरी वो सुहानी लिख रहे हैं-मौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Nov 26, 2020
सचिन कुमार updated their profile
Nov 25, 2020
सचिन कुमार is now a member of Open Books Online
Nov 25, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Uttar Pradesh
Native Place
Bihar
Profession
Student
About me
I am student of political science, pursuing my master degree from Banaras Hindu university

सचिन कुमार's Blog

ग़ज़ल

2122 2122 2122

बहते दरिया की रवानी लिख रहे हैं

सब यहाँ अपनी कहानी लिख रहे हैं



आंसुओं से बह रहा मेरे लहू औ'

आप हैं जो इनको पानी लिख रहे हैं



नींद आंखों से हुई है आज मिन्हा

चोट हम कोई पुरानी लिख रहे हैं



कह नहीं पाते थे तुमसे जो कभी वो

बात गज़लों की जुबानी लिख रहे हैं



तू अलग होकर भी मुझसे ही जुड़ी है

अपने किस्से को लाफ़ानी लिख रहे हैं



जो चलाये थे कभी बरसात में हम

कश्ती औ' बारिश का पानी लिख रहे हैं



जो… Continue

Posted on November 25, 2020 at 9:32pm — 9 Comments

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At 10:46am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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