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आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 46 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ 

20 फरवरी 2015 से  21 फरवरी 2015,  

दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

इस बार के आयोजन के लिए जिस छन्द का चयन किया गया है, वह है –  कुकुभ छन्द

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

कुकुभ छ्न्द के आधारभूत नियमों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें

एक बार में  अधिक-से-अधिक तीन कुकुभ छन्द प्रस्तुत किये जा सकते है. 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 20 फरवरी 2015  से  21 फरवरी 2015 यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

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Replies to This Discussion

महनीया

आपकी संस्तुति की दरकार थी i देर से मिली i पर आश्वस्त करती हुयी i सादर i

कल होगा फिर उजियारा (कुकुभ छन्द)

गिर न जाऊँ मुझको पकड़ों, कूद रहा मै भाई जी

कूद रहा हूँ मै ऊपर से, मुझे झेलना भाई जी |

डरने की कोई बात नहीं,इतनी शक्ति भुजाओं में

राज दुलारा है तू मेरा,  आ जा मेरी बाँहों में ||

 

सूरज सा मन आज खिला है, देख होंसला ये तेरा

नाज हमें है बेटा तुझपर, ताकतवर बेटा मेरा |

देख सुहाने मौसम को यूँ, तुझ में छायी मस्तानी

अश्क छलकते है नयनों से, है ये खुशियों का पानी ||

 

मस्ती में तूझूम रहा है, लगता है सबको प्यारा

अम्मा का इकलौता बेटा, उसकी आँखों का तारा |

करों न अब यूँ और तमाशा, कल होगा फिर उजियारा

घिर घिर आते है अब बादल,होने को अब अँधियारा ||

(मौलिक व अप्रकाशित)

आदरणीय लक्ष्मण भाईजी 

चित्र के अनुसार छंद सुंदर और भाव पूर्ण है। हार्दिक बधाई 

 कूद रहा मै भाई जी

मुझे झेलना भाई जी | ... दोनों जगह पापा शब्द के प्रयोग से रिश्ते स्पष्ट हो जाते अच्छा भी लगता , लेकिन भाईजी . ? 

टंकण त्रुटि भी देख लीजिए। 

सादर 

छंद सराहने और भाई की जगह पापा के सही सुझाव  के लिए शुक्रिया भाई  श्री  अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी 

अच्छी वा सुन्दर  छंद रचना पर आपको बधाई आ. लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी|

हार्दिक  आभार  आपका श्री महर्षि त्रिपाठी जी 

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर,सुन्दर रचना हार्दिक बधाई !

सूरज सा मन आज खिला है, देख होंसला ये तेरा

नाज हमें है बेटा तुझपर, ताकतवर बेटा मेरा |

देख सुहाने मौसम को यूँ, तुझ में छायी मस्तानी

अश्क छलकते है नयनों से, है ये खुशियों का पानी ||

आदरणीय लक्ष्मण सर ,सुन्दर भावपूर्ण रचनावली हुई है |विषय को पूरी तरह से समाहित करते हुये उत्कृष्ट रचना पटल पर रखी  है आपने |हार्दिक आभार |सादर अभिनंदन |

रचना पर  आत्मीय भाव से टिपण्णी के लिए आपका  बहुत बहुत  आभार श्री खुर्शीद खैराडी  भाई | 

गर्व पिता का बेटे पर क्या, होता है ये बतलाया 

राजदुलारे से मन कैसे, लग जाता है समझाया 

दिल को आज बहुत है भाए, छंदों का ये अफसाना 

ढेर बधाई देता पढ़कर, लक्ष्मण सर का दीवाना 

बसे ह्रदय में वामनकर जीइनसे भाई का नाता

बना रहे ये भाव ह्रदय मेंअर्ज यही करते  दाता 

स्नेह भाव  दर्शाने के लिए हृदयतल से हार्दिक  आभार श्री मिथिलेश वामनकर जी 

गिर न जाऊँ मुझको पकड़ों, कूद रहा मै भाई जी

कूद रहा हूँ मै ऊपर से, मुझे झेलना भाई जी |

डरने की कोई बात नहीं,इतनी शक्ति भुजाओं में

राज दुलारा है तू मेरा,  आ जा मेरी बाँहों में 

विश्वास जगाता खूबसूरत छंद आदरणीय 

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