For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“मन में भरो उजास” – कुण्डलिया छंद संग्रह

छंदकार – सुभाष मित्तल ‘सत्यम्’

प्रकाशक – बोधि प्रकाशन, जयपुर. (राज.)

मूल्य – रुपये 150/-

 

“बदलते परिवेश पर सत्यम् जी के उद्गार”

जिसने कवि गिरधर को पढ़ा है, जिसने काका हाथरसी को मंचों से कुण्डलिया छंद नुमा रचनाएं पढ़ते सुना है उसे अवश्य ही कुण्डलिया पढ़ना सुनना पसंद होगा. आज श्री त्रिलोकसिंह ठकुरेला जी के अथक प्रयासों से कई कुण्डलियाकार सक्रीय हुए हैं जिनमें डॉ. रमाकांत सोनी, डॉ.नलिन, गाफिल स्वामी, डॉ. तोताराम सरस, लक्ष्मण लड़ीवाला,डॉ. बघेल और भी कई वरिष्ठ और नवीन रचनाकार अपने कुण्डलिया छंदों के संग्रह प्रकाशित करवा रहे हैं. यदि आप श्रेष्ठ कुण्डलिया छंद पढ़ना चाहते हैं तो कवि सुभाष मित्तल ‘सत्यम्’ का यह संग्रह आपको अवश्य पढ़ना चाहिए.

 

“मन में भरो उजास” पुस्तक का यह शीर्षक स्वयं कविवर के विचार और संग्रह प्रकाशित करने के उद्देश्यों को मुखरित कर रहा है.

 

इस संग्रह में विषय अनुसार छह से लेकर चौबीस छन्द तक एक विषय पर हैं लगभग दो सौ कुण्डलिया छंदों की इस पुस्तक के अंत में विविध विषयों पर भी एक-एक कर सत्तावीस छंद रखे गए हैं.

 

कुंडलिया छंद जो एक मिश्रित छंद है जिसकी छह पंक्तियों में प्रथम दो पंक्तियाँ एक दोहा छंद होती हैं तथा शेष चार पंक्तियाँ रोला. इस छंद की विशेषता जिसके कारण सहज ही इस छंद को पहचाना जा सकता है वह दोहे के अंतिम चरण का हुबहू प्रयोग रोले वाले भाग को प्रारम्भ करने में किया जाता है. छह पंक्तियाँ किसी बात को कहने के लिए बहुत अधिक नहीं तो कम भी नहीं होतीं, इसकी एक बानगी कवि ‘सत्यम्’ की इस रचना में देखिये. जिसमें कवि ने गुरु के प्रति स्नेह व सम्मान प्रकट किया है.

 

पहले गुरुवर को नमन, वंदन बारम्बार |

जो देते आशीष नित, मिलता उनका प्यार ||

मिलता उनका प्यार, भरा जो उनके उर में |

होगा बेड़ा पार , फँसा जो भव सागर में |

‘सत्यम्’ मिलती शक्ति, ताकि मन हर दुख सहले |

ध्याऊँ प्रभु को किन्तु, नमन गुरुवर को पहले ||

 

कवि ‘सत्यम्’ का उद्देश्य रहा है गहन समस्याओं को उठाकर देश के नागरिकों को जागृत करना, आज प्रदूषण एक ज्वलंत समस्या है और इसके निराकरण के विषय में हर नागरिक को विचार अवश्य ही करना चाहिए. कवि ने छंद में अपनी बात किस तरह कही है देखें.

 

नित्य प्रदूषित हो रहे, मृदा, वायु औ नीर |

फ़ैल रहे नव रोग नित, बढ़ती जाती पीर ||

बढ़ती जाती पीर,  प्रदूषण विकट समस्या |

सोचें सब मिल आज, निवारण इसका है क्या ?

‘सत्यम्’ कहाँ भविष्य, नहीं जब आज सुरक्षित |

नाशक-कीट प्रयोग, कर रहा खाद्य प्रदूषित ||

 

 

 

‘सत्यम्’ भक्ति-भाव से भरे, देश प्रेमी और सामजिक रिश्तों में विश्वास करने वाले कवि हैं, तभी वे कहीं देश भक्ति का सन्देश देते दिखे तो कहीं रिश्तों के गिरते मूल्यों पर चिंतित और क्रोधित भी नजर आये हैं.

जब आप इस कुण्डलिया संग्रह को पढेंगे तो अवश्य ही कवि से सहमत होते हुए देश और समाज के निर्माण में सहयोग के लिए अपने विचारों को आगे बढाने में सहायक बनेंगे.

 

कवि ‘सत्यम्’ की अस्वस्थता के कारण पुस्तक प्रकाशित होते समय असावधानी रही जो रचनाओं में त्रुटियों का कारण बनी है, कवि ने इसे दूर करने का प्रयास करते हुए एक ‘त्रुटि-संशोधन’ पत्र पुस्तक के अंत में चस्पा किया है.

 

मैं कवि ‘सत्यम’ को शुभकामनाएँ देता हूँ.  मुझे आशा है आपने धैर्य से यह समीक्षा पढ़ी है तो यह पुस्तक भी अवश्य ही पढेंगे.

 

समीक्षक : अशोक कुमार रक्ताले,

५४, राजस्व कॉलोनी, उज्जैन-१० (म.प्र.)

मो. ०९८२७२५६३४३,   

 

Views: 654

Attachments:

Replies to This Discussion

 कवि सुभाष मित्तल जी ‘सत्यम्’ को शुभकामनाएँ |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी  वाह !! सुंदर सरल सुझाव "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने समय दिया आपने जिन त्रुटियों को…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
3 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service