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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह
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विवेक भाई बेहतरीन खयालात
हर शेर मे गज़ब की कारीगरी है| लाजवाब प्रस्तुति
बधाई हो|
दिन मे सभी मेखाने तो खाली खाली है
शाम ढले इस सुने घर मे मेला लगता है.
गिरह लगाना सबसे कुशल लगा , और शे'र भी बढ़िया है, काफियाबंदी पर ध्यान देने की आवश्यकता है | बधाई ...
दर्दे दिल क्या होता है पत्थर दिल क्या जाने,
हर बार मुझे ये प्यार फ़कत धोखा लगता है।
ख़ूबसूरत शे'र सुन्दर ग़ज़ल्। मुबारक बाद
रत्ती साहिब , बहुत बहुत शुक्रिया , आपने अपनी व्यस्त पलों से कुछ पल हम सब के लिए निकाला ,
अच्छी ग़ज़ल की प्रस्तुति दी है आपने , बधाई ...
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