For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,

"ओबीओ लाईव महा उत्सव" के 23 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. पिछले 22 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने 22 विभिन्न विषयों पर बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की, जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है:-

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक २३   

विषय - "मेरे सपनों का भारत"

आयोजन की अवधि- 7 सितम्बर शुक्रवार से 9 सितम्बर रविवार तक  

तो आइए मित्रो, उठायें अपनी कलम और दे डालें अपनी कल्पना को हकीकत का रूप, बात बेशक छोटी हो लेकिन घाव गंभीर करने वाली हो तो बात का लुत्फ़ दोबाला हो जाए. महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |
उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: -

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- २३ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो बुधवार 7 सितम्बर लगते ही खोल दिया जायेगा ) 

 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

 

"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

(सदस्य कार्यकारिणी)

ओपन बुक्स ऑनलाइन  

Views: 15125

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आपके कथनों ने मेरे जोश पर आग में हवा देने का काम किया है वंदना जी..... सादर आभार...

वाह सुशील जोशी जी वाह, आपकी रचना याद दिलाती है कि हम कहाँ है, ख़्वाब कितना भी देख ले पर हकीक़त कुछ और है, भारत के दुश्मनों को संरक्षण हमारे ही लोग कर रहे हैं ऐसे गद्दारों को तो गुरु और कसाब से पहले फ़ासी दी जानी चाहिए, इस जबरदस्त रचना पर दिल से बधाई स्वीकार करिए श्रीमान |

कुछ निजी कार्यों में व्यस्तता के कारण आज कई महीनों के बाद यहाँ मेरा आना हुआ है..... लेकिन आपने जिस उत्साह से मेरा स्वागत कर मुझे प्रोत्साहित किया है, वह निश्चित रूप से सराहनीय है गणेश जी..... उम्मीद करता हूँ कि माँ शारदे के आशीर्वाद एवं आप जैसे गुणीजनों के प्रोत्साहन से मैं OBO में अपनी उपस्थिति को नियमित रख पाऊँगा..... आप लोगों के साये में इतना खूबसूरत महोत्सव यहाँ हो पाता है, उसके लिए निश्चित रूप से आप बधाई के पात्र हैं..... टिप्पणी के लिए आपको धन्यवाद एवं सादर नमन...

 सुन्दर लिखा बहुत अच्छी लगी आपकी रचना बधाई आपको   

भाई सुशील जोशी जी - वाह वा वाह वाह !! क्या सकारात्मक सोच है आपकी और क्या ही प्रवाहमई प्रस्तुति है. मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

सुशील कुमार जोशी जी आपने नस नस में जोश भर दिया है

आज पूछना चाहता हूँ मैं सत्ता के सरदारों को,

क्यों नहीं टाँगते फाँसी पर भारत माँ के गद्दारों को......बहुत उम्दा सवाल उम्दा ढंग बहुत खूब

जिस-जिस ने भी हिंसा की, जेलों में पाले जाते हैं,

अपने भूखे मरते हैं, वो रोज़ निवाला पाते हैं....क्या बात है... अपने भूखे मरते हैं वो रोज मलाई

टी.वी. पर जो सबने देखा वो झुठलाया जाता है,                                                    छान रहे हैं

नित नई दलीलों में उनको निर्दोष बताया जाता है.वाह आपकी ज़िंदा दिली को दाद देता हूँ भाई

सत्ता के रखवाले उनके सिर पर हाथ फिराते हैं,

तभी वो ऐसी हरकत की फिर से हिम्मत कर जाते हैं.....बहुत ही कडुवा सच

क्यों नहीं दीखते तुमको आँसू, सैनिक की विधवाओं के,

क्यों चेहरे देखो क्षीण पड़े हैं, उन दिग्गज की माँओं के....सच्चाई है .. बहुत ही मार्मिक है

क्यों रंगों के त्यौहार में होली खून की खेली जाती है,

और दीवाली की खुशियों में गोली झेली जाती है.  वाह वाह सुन्दर प्रयोग होली और दीवाली का

नहीं सहेंगे अब हम ऐसा, हम भी उनके साये हैं,

भारत माँ की रक्षा ख़ातिर, जिनने प्राण गँवाए हैं....ये गर्जना ने दिल लूट लिया सुशील जी

बच न सका जब जनरल डायर, ये किस खेत की मूली हैं,

अफज़ल और कसाब की बस एक सज़ा अब सूली है.....मेरे रोंगटे खड़े हो गये भाई रग रग में

उनको फाँसी देकर हम ये दुनिया को दिखला देंगे,                                रक्त तेज हो गया है

भारत पर उँगली रखने वाले को धूल चटा देंगे.......दहाड़ है भाई बहुत खूब

अब ताज पे ना गोली बरसेगी, क़त्ले आम नहीं होगा,

मानव ख़ून से लथपथ अब कोई अक्षरधाम नहीं होगा......खुला चैलेन्ज ...बहुत दमदार

इन आतंकों के साये में जब इंसान नहीं होगा,

मेरे सपनों के भारत का तब निर्माण यही होगा. वाह वाह सुशील जी निः शब्द कर दिया

सुशील कुमार जी आपकी इस

रग रग में वीरता का संचार कर

देने वाली रचना को नमन

आपको इस रचना के लिए हार्दिक बधाई

 

आज ऐसे ही सपने की जरुरत है . आपकी यह रचना बहुतों की जुबान बन गयी . ... बहुत -बहुत बधाई सुशील जी 

इन आतंकों के साये में जब इंसान नहीं होगा,

मेरे सपनों के भारत का तब निर्माण यही होगा...

sahi me joshi ji.

मित्र सुशील जी, इस ओजपूर्ण अभिव्यक्ति  के लिए  बहुत बहुत बधाई !

चाँद पर रामराज्य----------

  
सुनीता विलियम आई, उठो लक्ष्मण काम है 
चाँद पर झंडा गाड दिया,नव भारत नाम है  |
 
राम के कर कमलों से, स्थापना करवाओ,
उनको बैठा गद्दी पर,  आदर्श राज्य लाओ |
 
गुरुकुल में प्राचार्य,  विश्वामित्र बन जाय,
विक्रमादित्य वहां के, न्यायाधीश हो जाय |
 
मैंने कहा सुनीता जी, प्रथम गणपति आवे,
शिव मस्तक पर बैठे, उस चन्द्र को मनावे |
 
फिर भागीरथ यतनकर, चाँद पर गंगा लावे,
अपने सपनों का भारत, तब ही बसा पांवे  |
 
चंदा मामा की चाहत, रामराज्य बस जाय,
रानी हो सीता माता, चंदा-पत्नी  की राय  |
 
सुना है जहाँ न पहुंचे, रवि वहा पहुचे कवि,
तो फिर आ बसे सारे, भारत के श्रेष्ठ कवि |
 
वसुदेव कुटुम्बकम का, पाठ भी पढ़ाएंगे,
मीरा और राधा संग, कृष्ण रास रचाएंगे | 
 
फिर कोई नारी वहां, कभी न अबला होगी, 
नर व् नारी  दोनों में, बिलकुल समता होगी |
 
घर आँगन में गूंजेगी, बेटी की किलकारी,
न भुखमरी न बेकारी,  ना   कोई बीमारी  |
 
न कोई छल कपट होगा, नही किसी से बैर.
न किसी से बैर होगा, स्वछन्द करेंगे सैर |
 
न कोई चोरी का डर, न लूट न कोई मौका,
निश्चय ही चाँद पर अब, है बसने का मौका |
 
ओबीओ साथियों अब, बजा दो जग में डंका 
चाँद पर अब भारत का, गाड दिया है झंडा | 
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर 
  
 

आदरणीय लड़ीवाला जी

                     सादर, चाँद पर पहुंचकर देश के लिए मंगल कामना करने के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें.

आदरणीय अशो रक्ताले जी, 
चाँद से ही भेजरहा हार्दिक आभार आपका
मंगल  कामना का, माध्यम कवि आपका 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
5 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
5 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service