For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 57 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-58

विषय - "फंदा"

आयोजन की अवधि- 7 अगस्त 2015, दिन शुक्रवार से 8 अगस्त 2015, दिन शनिवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

 
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान मात्र एक ही प्रविष्टि दे सकेंगे.  
  • रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 7 अगस्त 2015, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 13583

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय भाई तेजवीर जी इस प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें ।

कर्म सभी के अलग अलग हैं, अलग अलग है सबका धंधा,

अच्छे कर्म को मिले “सलाम”, और बुरे को  मिलता "फ़ंदा!"............सुंदर  पंक्तियाँ !

 

आदरणीय  तेज वीर  सिंह  साहब  सादर, सुंदर  रचना. सादर.

देशप्रेम से लबरेज़ कविता,कविता के ज़रिये सुंदर नसीहतें अच्छे कर्म को मिले सलाम और बुरे को मिलें फंदा ।वास्तविकता की सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीय तेजवीर सिंह जी ।

//अच्छे कर्म को मिले “सलाम”, और बुरे को  मिलता "फ़ंदा// 

बहुत खूब आदरणीय तेज वीर सिंह जी, शब्द शब्द में जोश घुला है अच्छी रचना बधाई स्वीकार करें.

रस्सी का रुदन

मुझ रस्सी के टुकड़े को
कितना जान पाए हो
अलग अलग रूप देकर
अपना काम सधवाया है
कभी मेरी ख़ुशी और रुदन
भी देख पाए हो

सावन में मुझसे
झूला बनाते हो
मै कितना इतराता हूँ
गोरी के बालों को
अपने में उलझाकर
अपनी किस्मत पे मै
झूम झूम जाता हूँ

गर्व अपने होने पर
तब भी होता है मुझे
किसान जब मुझसे
बैलों को बांधकर
हल चलाता है
अन्न उगाकर जग को
खिलाता है

और फिर एक दिन
सारी आत्म मुग्धता
हो जाती है धराशाही
जब तुम मुझसे
फंदा गढ़ते हो
अपनी निराशा
कुंठा और दर्द
मेरे सर मढ़ते हो

ऐसा क्या हो
जाता है तब
कि जो झूलती थी
गाती थी
झूले की पींगें
बढ़ाती थी
एक दिन मुझसे
इतना प्यार जताती है
कि सबको भुलाकर
मुझे गले लगाती है

और वो अन्नदाता
सबको था जो पालता
क्या दुःख उसको
था सालता
मुझको बदनाम करके
वो भी चल देता है
जिसको था जोतता
उसी में मिल लेता है

और मै भौंचक्का ,डरा
अपराधी बना
लटका रहता हूँ
चीरती आँखों को
सहता रहता हूँ
तुम देख सुन न पाओ
पर फूट फूट के रोता हूँ

मुझे काटो तोड़ो जलाओ
कुँए की घिर्री में
खूब घिसाओ
मै अपना जीवन
धन्य मानूंगा
पर मुझपे प्यार
मत जताओ
फंदा बनाके
गले मत लगाओ

मौलिक व् अप्रकाशित
रस्सी का हुलास और उसके अंतर्नाद का स्वर मन को झकझोर गया । जीवन में जन्म का, विधना के कर्म लेख का , किसको कहाँ कैसा मान मिले । एक काया के अर्थ अनेक । बहुत ही लाजवाब रचना हुई है आदरणीया प्रतिभा जी । बधाई स्वीकार करें ।

रस्सी की व्यथा का बहुत सुन्दर चित्रण किया है आ० प्रतिभा पाण्डेय जी। हार्दिक बधाई।

आदरणीया प्रतिभा जी रस्सी की व्यथा-कथा की बढ़िया प्रस्तुति. बधाई. रचना पर पुनः उपस्थित होता हूँ. सादर 

रस्सी की व्यथा कितनी अच्छी शब्दों में ढाली है मजा आ गया पढके बहुत पहले ऐसी ही एक रचना मैंने अपनी पहली प्रकाशित पुस्तक हृदय के उद्दगार में लिखी थी बरबस याद आ गई --कुछ पंक्तियाँ लिख रही हूँ 

छालों से भरी हैं उँगलियाँ

हो रही लहू से लाल,

पर ना हिम्मत हुई है जख्मी

ना मन में कोई मलाल

बुनता जाऊँगा रस्सियाँ

फंदे मैं कई हजार,

राह देखती आँखे

उनका है इन्तजार

वाहवा.. !  आपने रस्सी की व्यथाकथा को क्या खूब शब्द दिये हैं आदरणीया प्रतिभा जी. 

अन्तिम कुछ पंक्तियों से मिस्सृत संवेदना बहुत ही गहन बन पड़ी है.  हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ 

आ. प्रतिभा पाण्डेय जी रस्सी के मर्म को पूर्णत व्याखित करती इस रचना पर हार्दिक बधाई आपको ! 

वाह बहुत ही अच्छी प्रस्तुति .."रस्सी का रुदन " को व्याखित करती हुई बेहद खूबसूरत !! हार्दिक बधाई आ० प्रतिभा पाण्डेय जी। साभार !!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service