For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रदत्त विषय पर लघुकथा रचते समय ध्यान रखने योग्य बातें

किसी भी प्रदत्त विषय, स्थिति अथवा चित्र पर रचनाकर्म करना कदाचित आसान कार्य नहीं होताI किन्तु इस तरह का प्रयोजन किसी विधा में क़लम आज़माई करने और उसमें निपुणता प्राप्त करने की दिशा में काफ़ी सहायक भी सिद्ध हो सकता हैI यदि लघुकथा के संबंध में बात की जाए तो गत लगभग डेढ़ वर्ष से “ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी” में हमारे लघुकथाकार बहुत उत्साह और चाव से प्रदत्त विषय पर स्तरीय लघुकथाएँ रच रहे हैंI बहुत से सदस्य तो सफलतापूर्वक रचनाएँ प्रस्तुत करने में अक्सर सफल रहे हैं, किन्तु यह भी देखा गया है कि कई बार विषय को लेकर हमारे कुछ सदस्यगण भ्रमित पाए गएI भविष्य में ऐसी कोई भ्रम की स्थिति न बने इस हेतु कुछ माननीय सदस्यों ने मुझे इस विषय पर लिखने का आग्रह भी कियाI मेरा यह लघु आलेख उसी आग्रह का परिणाम हैI अत: इस अवसर का लाभ उठाते हुए कुछ बातें साफ़ कर देना चाहता हूँI
.
1. हमें लघुकथा कहते हुए सबसे पहले एक बात को ध्यान में रहना होगा कि प्रदत्त विषय एक “विषय” है, “शीर्षक” नहीं हैंI
.
2. हमें प्रदत्त विषय के शाब्दिक अर्थ के साथ-साथ उसके समानार्थी/प्रयायवाची शब्दों को भी समझना होगाI क्या साज़िश और शतरंज इस मामले में एक जैसी भावना का प्रतिनिधित्व नहीं करते?
.
3. एक बार प्रदत्त विषय का अर्थ साफ़ हो जाएँ तो उसके बाद उस शब्द के पीछे छुपे हुए अर्थों को ढूँढ़ना और समझना होगाI क्या “साज़िश” जैसे विषय पर चालसाज़ी, जालसाज़ी और पर्दे के पीछे की कुत्सिक मानसिकता पर बात नहीं की जा सकती?
.
4. यह ज़रूरी नहीं कि प्रदत्त विषय को ही रचना का शीर्षक बनाया जाएI
.
5. यह भी ज़रूरी नहीं कि प्रदत्त विषय में प्रयुक्त शब्द/शब्दों को लघुकथा में उपयोग किया ही जाएI बल्कि मज़ा तो इसी में है कि बिना इन शब्द/शब्दों का उपयोग किए लघुकथा कही जाएI
.
6. लघुकथा इस तरह रची जाए कि प्रदत्त विषय के साथ पूर्ण न्याय हो सकेI उदाहरण के लिए यदि “दिल” विषय पर लघुकथा कहनी हो तो क्या हम केवल सीने में धडकने वाले दिल तक ही सीमित रहेंगे? हिम्मत और दिलेरी को भी तो दिल (दिल-गुर्दा) कहा जाता है, कोई बहुत प्यारा भी तो किसी का दिल हो सकता है, और किसी मूड को भी तो दिल कहा जा सकता है न? ख़ून, हत्या को भी कहते हैं, खानदानीपन को भी और वंश को भी, अब यह रचनाकार की समझ पर निर्भर है कि इसको कैसे उपयोग कर सकता हैI
.
7. कई बार समानार्थी दिखने वाले शब्दों के मध्य एक महीन सा अंतर होता है, किन्तु उसके अर्थों में पूर्व और दक्षिण की दूरी हुआ करती हैI इसे समझे बग़ैर रचनाकर्म करने से अर्थ का अनर्थ होने की पूरी संभावना होती हैI शब्द “यारी” साधारण भाषा में मित्रता या प्रेम के लिए उपयोग किया जाता है, यदि इसको बिना सोचे समझे बरता जाए तो क्या बात बनेगी? हीर-रांझा या लैला-मजनूँ के प्रेम के संबंध में बात करते हुए तो यह ठीक है, किन्तु राधा-कृष्ण या मीरा-कान्हा की बात करते हुए इसे उपयोग में लाया जा सकता है?

Views: 2865

Reply to This

Replies to This Discussion

जी सर धन्यवाद ।
जी,बहुत आभारी हूँ,आपने इतने विस्तार से समझाया और बहुत ही क़ीमती जानकारी साझा की,इसके लिये कोटि कोटि धन्यवाद ।

हार्दिक आभार आ० समर कबीर जीI

लघु कथा के सन्दर्भ में बहुत संयत सारगर्भित महत्वपूर्ण आलेख है हृदय से बधाई आद० योगराज जी |

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आ० राजेश कुमारी जीI

लघु कथा विषय पर महत्वपूर्ण बिन्दुओं के माध्यम से अच्छी जानकारी कराई है आपने आ. योगराज जी, लघुकथा लिखना कहानी लिखने से अधिक कठिन कार्य है जिसमे कुछ शब्दों में बहुत कुछ कहने और प्रभावपूर्ण छाप छोड़ने ले लिए लघुकथा में प्रारम्भ से अंत तक बांधे रखना और चर्मोतकर्ष पर लघुकथा का समापन करना दुष्कर कार्य है | सादर 

आप बिल्कुल दुरुस्त फरमा रहे हैं आ० लडीवाला जी, लघुकथा रचना वाक़ई एक श्रमसाध्य कार्य हैI एक सिरा पकड़ो तो दूसरा ढीला हो जाता हैI विद्वानों के मतानुसार लघुकथा किसी गरीब आदमी के बजट की तरह होती है, इसमें न तो "ज़रूरी" को छोड़ा जा सकता है और न ही ज़रूरत के "इलावा" किसी अन्य चीज़ की गुंजाइश ही होती हैI       

जी | बिलकुल

आद सर ,विषय आधारित लघुकथा के लिए आपने जो जानकारी दी है ,वह महत्वपूर्ण है।कई बार लघुकथा लिखते वक़्त हम लोग विषय से हट जाते हैं।लेकिन एक बात शीर्षक को लेकर पूछनी है कि क्या ये आवश्यक है कि अगर कोई विषय दिया गया है तो उसके आगे भी हम कोई शीर्षक दें।मसलन विषय अगर शतरंज है तो शीर्षक क्या अलग से "चाल" जैसा दिया जाए जो विषय की सार्थकता को दर्शाये ? क्या हम शतंरज विषय को ही अपना शीर्षक मान कर उस पर लघुकथा नहीं लिख सकते ? भाव तो एक ही है न!

लगता है कि आपने यह आलेख ध्यान से नहीं पढ़ा आ० रश्मि जीI प्रदत्त विषय को शीर्षक बनाया जा सकता है, और हम लोग बनाते भी हैंI लेकिन जैसा कि मैंने आलेख के बिंदु कर्म-संख्या 4 में निवेदन किया है कि यह ज़रूरी नहीं कि प्रदत्त विषय को ही रचना का शीर्षक बनाया जाएI अर्थात यदि कोई रचनाकार विषयाधारित कथा को कोई और शीर्षक देने चाहें तो दे सकते हैंI उद्देश्य केवल इतना है कि रचना से प्रदत्त विषय उभर कर सामने आएI

जी सर ,आपके आलेख का 4 न पढ़ा था फिर भी पूछा क्योंकि जब भी विषय आधारित कथा लिखते हैं तो सवाल उठाया ही जाता है कि हमने कथा का शीर्षक क्यों नहीं दिया।इसलिए एक बार अपने शब्दों में पूछा वीरजी।

आशा करता हूँ कि मेरे इस उत्तर से आपकी आशंकायों का निवारण अवश्य हुआ होगा आ० रश्मि जी.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service