For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-110

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 110वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब बशीर बद्र साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"हम जवाब क्या देते, खो गए सवालों में "

212    1222     212       1222

फाइलुन     मुफ़ाईलुन    फाइलुन       मुफ़ाईलुन 

(बह्र: हजज मुसम्मन् अस्तर )

 

रदीफ़ :- में

काफिया :- आलों( सवालों, मिसालों, हवालों, वालों, उजालों, प्यालों आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 अगस्त दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 24 अगस्त दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

**विशेष : इस  बह्र मे  ऐब-ए-शिकस्ते नारवा  की गुंजाइश बहुत आसानी  से हो सकती है , जिससे बचने के लिए दूसरे और तीसरे रुक्न में ऐसे  अल्फ़ाज़  का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए जो दोनों रुकनों मे शामिल हो अर्थात दूसरे रुक्न मे लफ्ज खत्म हो जाना चाहिए और तीसरे रुक्न की शुरुवात एक नए लफ्ज से होनी चाहिए |

 

नियम एवं शर्तें:-

 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

 

विशेष अनुरोध:-

 

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 अगस्त दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

 

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 6756

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. आनीस जी, अच्छा प्रयास हुआ है । हार्दिक बधाई।

मुसाफिर साहब बहुत बहुत शुक्रिया 

जनाब अनीस शैख़ साहिब आदाब,तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'तीरगी से सोहबत थी तो चराग़ थे रौशन'

इस मिसरे में सहीह शब्द "सुहबत" है आपकी जानकारी में ये बात आ चुकी है,उसके बाद भी?

'आज भी कभी जब तू ख़्वाब में आ जाती है'

ये बात भी आपकी जानकारी में है कि शाइरी में महबूब को स्त्रीलिंग नहीं लिया जाता,फिर भी आप?

जनाब समर कबीर साहब ग़ज़ल तक आने का बहुत बहुत शुक्रिया, जी "सोहबत "लफ़्ज़ के लिए ठीक कहा आपने रेख्ता की वजह से मैं कंफ्यूज हो गया उसमें "सोहबत "दिया है, और स्त्रीलिंग वाली बात जानकारी में होते हुए भी गलती हो गयी सुधार लेता हूं उसे 

आदरणीय अनीस जी बहुत बधाई

पंकज कुमार मिश्रा जी शुक्रिया 

बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है मेरी मुबारकबाद स्वीकारें 

  1. राजेश कुमारी जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत आभार 

आदरणीय anis जी ,उम्दा ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें

अंजलि जी बहुत बहुत शुक्रिया 

आदरणीय  शेख जी, बहुत उम्दा ग़ज़ल के लिए  बधाई  हो 

मोहन बेगोवाल जी बहुत आभार 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दो चार रंग छाँव के हमने बचा लिए - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई आशीष जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार।"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"बहुत आभार इस बारीक़ विश्लेषण के लिए आदरणीय उस्मानी जी। आपकी बातों पर ग़ौर करके अवश्य इन्हें रचना…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आपका हार्दिक आभार आ. उस्मानी जी। "
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आदाब। आपकी पैनी दृष्टि से रचित यह कड़वे सच वाली रचना वाकई कुछ भिन्नता लिये हुए है। हार्दिक बधाई जनाब…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"यह भी खूब रही। पोल खोल रही। बढ़िया शैली में बढ़िया लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"रचना पटल पर उपस्थिति हेतु धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। अचानक 'म' सूझा और म, मा , माँ…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"आदरणीय उस्मानी जी, 'म' ने कोई गड़बड़ी नहीं की। वह तो मात्राओं की कारस्तानी है, साहिब।…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to अजय गुप्ता 'अजेय's discussion आयोजन कैलंडर संबंधित
"आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ। कई बार तिथि याद नहीं रह पाती। इससे निरंतरता बनी रहेगी। "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई। धर्म के प्रतिमान में मेरे हिसाब से मात्राएँ कम…"
18 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)
"सुरा- सार "मालखाने की शराब चूहे पी गए....।" सुनकर बाबा चौंके। "फिर से? "…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a discussion

आयोजन कैलंडर संबंधित

आदरणीय प्रबंधन समूह,मेरा एक सुझाव है जिसे आपके विचारार्थ रखना चाहता हूँ । ओबीओ में पूर्व कि भाँति…See More
22 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service