For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(2122 2122 2122 212 )
.
वाग्देवी माँ हमें अपनी शरण में लीजिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||  
 
दर्द का सागर डुबाता है हमें मझधार में |  
किन्तु रचना प्रस्फुटित होती न इस संसार में | 
जो भटकती फिर रही उस लेखनी बल दीजिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए ||  
   
शब्द में हो शक्ति दिल में पाक मैया भावना | 
प्रेम की गंगा बहे निष्पाप तन-मन कामना | 
द्वेष के बादल छँटें नहिं घृणा से कोई जिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए || 
 
गिरि बहुत ऊँचे हुए माँ शारदा व्यवधान के | 
वन सघन षड्यंत्र पल-पल घूँट दें अपमान के | 
राज को दो नीति जन अन्याय का विष ना पिए | 
ज्ञान के जलने लगें माता हृदय में अब दिए || 
- शून्य आकांक्षी 
 
( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 677

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 8:39pm

आद0 शून्य आकांक्षी जी सादर अभिवादन। 

कुछ बातों पर गौर कीजिए। मगर को म+गर या मग+र में किस तरह पढ़ते हैं।  इस पर गौर कीजिए। जब आप पढ़ेगी तो देखेगी की मगर को म+गर अर्थात इसकी मापनी 12 हुई। इसी तरह आपको अभी अभ्यास करना है। लेखन के लिए बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 27, 2019 at 5:58am

आ. शून्य आकांक्षी जी,रचना का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधार्ई स्वीकार करें । साथ ही भाई समर जी की बात पर पुनः विचार करें।

मगर की मापनी १२ है इसे 'किन्तु' करके ठीक किया जा सकता है।

भटकना' भी 122 है इसे प्रतिस्थापित करने का प्रयास करें।

सादर..

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on November 27, 2019 at 2:06am

 आदरणीय  Samar kabeer साहब 
सादर प्रणाम | 
आप
ने मेरी लिखी सरस्वती वंदना पढ़ी, मुझे बहुत प्रसन्नता हुई | आपने मेरे प्रयास को सराहा और बधाई दी | आपका हार्दिक आभार सर | 


दी गई मापनी पर मैं अपने विचार आपके सामने रखने की कोशिष कर रहा हूँ :

 "मगर रचना प्रस्फु
टित होती न इस संसार में |"
मग (2) र (1) रच (2) ना (2)  प्रस् (2) फु (1) टित (2) हो (2)   ती (2) न (1 ) इस (2) सं (2)   सा (2) र (1) में (2)

  "भटकते कमजोर पीड़ित लेखनी बल दीजिए |" 
भट (2) क (1) ते (2) कम (2)  जो (2) र (1) पी (2) ड़ित (2)  ले (2) ख (1) नी (2) बल (2)   दी (2) जि (1) ए (2) 

सर मेरी टिप्पणी पर गौर फरमाते हुए मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करें | 
Comment by Samar kabeer on November 25, 2019 at 2:48pm

जनाब शून्य आकांक्षी जी आदाब,रचना का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'मगर रचना प्रस्फुटित होती न इस संसार में'

'भटकते कमजोर पीड़ित लेखनी बल दीजिए'

ये पंक्तियाँ दी गई मापनी पर नहीं हैं,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service