For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंद क्षणिकाएँ :जीवन

चंद क्षणिकाएँ :जीवन 

बदल गया
जीवन
अवशेषों में
सुलझाते सुलझाते
गुत्थियाँ
जीवन की

आदि द्वार पर
अंत की दस्तक
अनचाहे शून्य का
अबोला गुंजन

अवसान
आदि पल की
अंतिम पायदान

प्रेम
अंतःकरण की
अव्याखित
अनिमेष
सुषमा रशिम


ज़माने को

लग गई
नई नेम प्लेट
बदल गई
घर की पहचान
शायद चली गई
थककर
दीवार पर टंगे टंगे
पुरानी

नेम प्लेट में
लिपटी

घर की जान 


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2019 at 4:40pm

आदरणीया सुरेन्द्र नाथ जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2019 at 4:39pm

आदरणीया ऊषा जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2019 at 4:38pm

आदरणीया डॉ गीता चौधरी जी सृजन पर आपकी हृदयग्राही प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2019 at 4:36pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब .... बन्दे के सृजन पर बेशकीमती तारीफ़ का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on November 5, 2019 at 4:35pm

आदरणीय शेख़ उस्मानी साहिब, आदाब .... बन्दे के सृजन पर आपकी हृदयग्राही प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by नाथ सोनांचली on November 2, 2019 at 4:59pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार की तरह पुनः एक बेहतरीन रचना,, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

Comment by Usha on November 2, 2019 at 11:32am

आदरणीय श्री सुशील सरना जी, दो अकाट्य सत्यों 'जीवन और मृत्यु' जिनसे हम भली-प्रकार अवगत होते हुए भी सुलझने से ज़्यादा उलझते हुए हम इस सफ़र पर को निभाते हैं। आपने बड़ी ही खूबसूरती से इनके महत्व को व्यक्त किया। हार्दिक बधाई। सादर।

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on November 2, 2019 at 6:57am

आदरणीय सुशील सरना जी नमस्कार, फिर आपकी सुंदर क्षणिकाएं आ गई मंच पर नहीं दिल पर दस्तक देने.. हर क्षणिका अपने में पूरा जीवन दर्शन समेटे हुएI सुंदर  भावों को सुंदर शब्दों में ढालने के लिए बहुत बधाई!

Comment by Samar kabeer on November 1, 2019 at 2:21pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 10:16pm

आदाब। बेहतरीन भाषा-शिल्पमय बेहतरीन क्षणिकायें।  दार्शनिकता, मनौवैज्ञानिकता,  व्यावहारिकता.. सब कुछ शाब्दिक होता है आपकी रचनाओं/क्षणिकाओं में। हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय सुशील सरना साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
24 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
35 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service