For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रश्न , एक छोटी सी बहुत बड़ी कविता — डॉo विजय शंकर

प्रश्न ये है
कि अन्तोगत्वा
हाथ क्या लगता है ?
समझ में आ जाये
तो बताइये हाथ
आपका क्या लगता है ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 698

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 9, 2019 at 5:16pm

आदरणीय विजय निकोर जी , नमस्कार , आपने रचना को मान दिया , ह्रदय से आभार। आप स्वस्थ रहें , प्रसन्न रहें और ओ बी ओ पर आते रहें , सुभेच्छू , सादर।

Comment by vijay nikore on November 9, 2019 at 7:26am

 चंद शब्दों में इतना अच्छा, इतना कुछ कह लेना... यह आपकी खूबी है। हार्दिक बधाई, मित्र विजय शंकर जी।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 1, 2019 at 9:20pm

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , रचना आप तक पहुंचीं , आपको पसंद आई , सफल हुयी। आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 1, 2019 at 6:53pm

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , आपने रचना में और उससे जुड़े संवादों में गहरी रूचि ली , निसंदेह सामान्य से अधिक समय दिया , आपका आभार ,रचना अपने उद्देश्य में सफल , सफलता के कोइ सौ पचास प्रमाण - पत्रों की आवश्यकता नहीं होती है , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on November 1, 2019 at 11:17am

आद0 विजय शंकर जी सादर अभिवादन। इतने कम शब्दों में,, इतनी गहरी बात आप के हवाले से ही आ सकती है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय। सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 31, 2019 at 6:56pm

आदाब। वाह और वाह। जितना अच्छा आपकी रचना पढ़कर लगा, उतना ही अच्छा जवाबी टिप्पणियों को पढ़कर, लाभान्वित हो कर लगा। हार्दिक बधाई और आभार जनाब डॉ. विजय शंकर साहिब।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 30, 2019 at 9:43pm

आदरणीय सुश्री उषा साहनी जी , आपने फ्रांसिस बेकन को याद किया , मेरा भी वह बहुत प्रिय लेखक है। हाँ , मुझे आपकी टिप्पणी के साथ याद आ गया कि Brevity is soul of wit ! जो मैं कभी भूलता नहीं। हम नेता तो हैं नहीं कि बोलते चलें जाएँ और सार कुछ न निकले।विश्व में बहुत बड़ी बड़ी बातें तो कुछ शब्दों में कहीं गई हैं , प्रकृति तो कुछ भी नहीं बोलती पर हमें हमारा सारा ज्ञान इसी प्रकृति से मिलता है। हाँ , हमें महसूस करना आना चाहिए।
आभार और धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 30, 2019 at 9:21pm

आदरणीय समर कबीर साहब, नमस्कार , आपका बहुत बहुत आभार रचना कितनी भी छोटी क्यों न आपकी पैनी दृष्टि से छुप नहीं पाती , न स्वरुप से न भावार्थ से। बहुत बहुत आभार और धन्यवाद। सादर।

Comment by Usha on October 29, 2019 at 12:37pm

आदरणीय डॉ वियज शंकर सर, आपने "फ्रांसिस बेकन" की तरह कई सारी बातों को इतने कम शब्दों में बड़ी ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त किया है। बधाई स्वीकार करें सर। सादर।

Comment by Samar kabeer on October 28, 2019 at 3:51pm

जनाब डॉ. विजय शंकर जी आदाब,कमाल है साहिब,कम शब्दों में बड़ी बात कहना कोई आपसे सीखे,बहुत ख़ूब, वाह, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service