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मेरे सवाल ... अतुकांत कविता

मेरे सवाल .... अतुकांत कविता


वो तेरी प्यार भरी बातें,

तेरा रौबीला रूप,

गज़ब की मुस्कान औ दंभ,

बहुत रोका, बहुत सँभाला,

कुछ भी ना कर सकी,

ख़ुद ही ख़ुद से हार गयी।

अब वो प्यारी बातें मेरी हुईं,

तेरा रौब, मेरा सौंदर्य साथ हुए,

तू मुस्कुराया, में खिलखिलाकर हंसी,

तेरा वो दंभ, मेरा हुआ,

सात फेरों ने ज़िन्दगी दी,

तू मेरा औ मैं तेरी हुई।

कहा किया सदा, साथ ना छूटेगा,

मैं अकेली पड़ जाऊँ, ये ना होने पाएगा,

मैं जहाँ - तू वहाँ, ये अहसास सदा रहेगा,

दो जिस्म - एक जां, यही प्यार होगा

मेरी हर ख़्वाहिश, हर तमन्ना तेरी होगी ,

कोई शिक़वा नहीं, प्रेम ही प्रेम होगा।

ऐ मेरे हमसफ़र, ऐ मेरे जीवन-साथी,

क्या हुआ कि तु यूँ मुँह मोड़ चला,

ज़माने में मुझे इस क़दर रुसवा कर दिया,

ज़रा तो सोचा-औ-याद किया होता,

अपनी ही बातों से फ़रेब कर दिया,

मुझे हर उलझन, हर दर्द से जोड़, ख़ुद उड़ चला।

मैं, आज भी नहीं जान-औ-समझ पायी,

सवालों में घिरी हूँ, पल-पल तड़पती हूँ,

एक बार तो लौट कर आ, कहीं से भी आ, कैसे भी आ,

बताता तो जा ऐ ज़ालिम,

मेरी चाहत ग़लत थी ?

तेरी वफ़ा में कमी थी ?

मौलिक व् अप्रकाशित।

 

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on September 20, 2019 at 9:07am

आदरणीय सुश्री उषा जी , सुन्दर एवं आकर्षक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई , सादर।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2019 at 11:40am

मुहतरमा ऊषा जी आदाब,अतुकांत कविता का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'बहुत रोका, बहुत संभाला'

इस पंक्ति में 'संभाला' को "सँभाला" लिखें ।

'मेरी हर ख़्वाईश, हर तमन्ना तेरी हो जाएगी'

पिछली बार आपको बताया था कि 'ख़्वाइश' नहीं सहीह शब्द है "ख्वाहिश",आपने संज्ञान नहीं लिया ?

कहा करते थे तुम, साथ-साथ चलोगे,'

पूरी कविता में कहीं सम्बोधन 'तेरे' और कहीं 'करते' ? पूरी कविता में एक जैसा ही सम्बोधन रखना उचित होगा ,ग़ौर करें ।

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