For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"याद पिया की आए" ठुमरी लैपटॉप में मद्दम स्वर में बज रही थी, बाहर बरसती हुई बूंदों का शोर मन में हलचल मचाना चाह रही थी. उसने अपनी चाय की प्याली उठायी और होठों से लगा लिया. चाय कुछ ठंडी हो गई थी लेकिन उसे इसका एहसास नहीं था. उसे तो अधखुली आँखों से खिड़की के बाहर टपकती बारिश की बूंदें दिख रही थी और उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली साहब की जादुई आवाज सुनाई दे रही थी.
अक्सर ऐसे मौकों पर, जब वह नितांत अकेले ही रहना चाहता है, फ़ोन को साइलेंट मोड में कर देता है. लेकिन आज न जाने कैसे वह भूल गया था और फोन का रिंग टोन "तेरे आने की जब खबर महके" बजी तो उसे लगा कि काश यह फोन बिलकुल खामोश ही रहता. एक बार पूरी रिंगटोन बज गयी, ठुमरी और ग़ज़ल आपस में मिक्स हो गए. वह चुपचाप अधलेटा ही पड़ा था लेकिन रिंगटोन दुबारा बजने लगी. अब उसे लगा जैसे जगजीत सिंह साहब उससे कह रहे हों कि थोड़ा सा समय हमें भी दे दो. पिछले तीन साल से उसने यह रिंगटोन बदला नहीं था, वजह सिर्फ इतनी थी कि वह जब पहली बार श्वेता से मिलने गया था तो उसके कमरे में यही ग़ज़ल बज रही थी. उसने अपनी तरफ से इस ग़ज़ल और उस वक़्त को मिलाकर बहुत कुछ मतलब निकाला, लेकिन समय के साथ उसे लग गया कि इस ग़ज़ल का उस समय बजना महज एक संयोग था, और कुछ नहीं. एकाध बार उसने कुछ खुलने की कोशिश की तो श्वेता ने ध्यान नहीं देने जैसा वर्ताव किया. कल हिम्मत करके उसने कह दिया था कि हम क्या आगे के बारे में कुछ सोच सकते हैं तो श्वेता ने तुरंत टोक दिया "हम अच्छे दोस्त हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं. कोई ग़लतफ़हमी मत पालना".
उसने उठकर फोन देखा, श्वेता का ही फोन था. अमूमन श्वेता का नाम देखकर उछल पड़ने वाला उसका दिल आज कुछ सामान्य सा था. कुछ पल वह फोन को हाथ में लेकर देखता रहा, फोन बंद हो गया, उसने वापस उसे मेज पर रख दिया. उधर लैपटॉप में "बैरी कोयलिया कूक सुनाए" चल रहा था, बाहर बारिश थोड़ी तेज हो गयी थी. वह वापस सोफे पर अधलेटा सा पड़ गया, फोन में मैसेज का टोन बजा.
ग़लतफ़हमी न हो तो चीजें कितनी अनरोमांटिक हो जाती हैं, उसे महसूस हो गया था. बाद में मैसेज का जवाब दे देगा सोचते हुए उसने आंख मूंद ली, बारिश अब भी उसी रफ़्तार से हो रही थी.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 21, 2019 at 6:50pm

इस सुंदर टिप्पणी के लिए आभार आ तस्दीक़ अहमद खान साहब

Comment by विनय कुमार on May 21, 2019 at 6:50pm

इस सुंदर टिप्पणी के लिए आभार आ तेज वीर सिंह जी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 21, 2019 at 12:16pm

जनाब विनय कुमार साहिब, अच्छी लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by TEJ VEER SINGH on May 21, 2019 at 10:26am

हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार जी।एक अलग सी नवीनता लिये हुए बेहतरीन लघुकथा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
18 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
22 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
32 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
33 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
33 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
42 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
49 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
59 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service