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साहिलों पर .... (लघु रचना )

साहिलों पर .... (लघु रचना )

गुफ़्तगू
बेआवाज़ हुई
अफ़लाक से बरसात हुई
तारीकियों में शोर हुआ
सन्नाटे ने दम तोड़ा
तड़प गयी इक मौज़
बह्र-ए-सुकूत में
और
डूब गए सफ़ीने
अहसासों के
लबों के
साहिलों पर

(अफ़लाक=आसमानों )

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 338

Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 2, 2019 at 4:38pm

आदरणीय  Samar kabeer   जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on May 2, 2019 at 10:51am

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत उम्दा रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on April 29, 2019 at 8:08pm

दरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन पर आपकी मनभावन प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on April 28, 2019 at 2:54pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। लघु रचना भी खूब हुई। बधाई स्वीकार कीजिये

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