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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद पेश करता हूँ अंजली जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है |

आदरणीय md. Anis sheikh जी बहुत शुक्रिया

आदरणीया अंजलि गुप्ता जी, आपकी ग़ज़ल से ग़ुज़रना अच्छा लगा. बेहतर अश’आर हुए हैं. एक-दो मिसरे बहके हुए हैं. तक्तीह कर समझ सकती हैं. 

 

बहरहाल, बधाइयाँ और शुभकामनाएँ. 

आदरणीय सौरभ पांडेय जी, सराहना के लिए शुक्रिया।

ख़्वाब पर नाम लिखा था जिसका -- ये बह्र में नहीं । लिखा को लिक्खा कहना चाहती थी। टंकण त्रुटि हुई। कृपया इसके अलावा जो बेबह्र लगा मुझे बताकर शंका दूर करें

आद० अंजलि जी बहुत बढिया ग़ज़ल हुई है बहुत खूब .बधाई स्वीकारें 

  1. आपका बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश जी

आदरणीया अंजलि जी, सुंदर गजल हुई। बधाइयाँ।

आदरणीय अरुण जी आपका दिली शुक्रिया

आदरणीया अंजलि गुप्ता जी ..अच्छे शेर कहे हैं जिसके लिए दाद हाज़िर है ...ख़्वाब पर नाम लिखा था जिसका.....यह मिसरा बेबहर हो रहा है ..नज़रे सानी कर लें|

//.ख़्वाब पर नाम लिखा था जिसका..//

ये मिसरा तो बह्र में है,"ख़्वाब" का वज़्न 21 है, आप शायद 121 ले रहे हैं ।

आदरणीय समर साहब, इस मिसरे की तक्तीह कैसे होगी ? 

शायद मैं थक गया हूँ:-)))

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