साथियों, 
 "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....
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आ. लक्ष्मण जी,
अच्छी   कोशिश है लेकिन कई मिसरे अटपटे हैं.. कुछ बहर चूक रहे हैं..
चिन्तन  कीजियेगा 
सादर 
आ. भाई नीलेश जी, उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार । अटपटे मिसरों इंगित करें तो सुधार का मार्ग खुले । सादर...
जनाब लक्षमण धामी साहिब,
ग़ज़ल की अच्छी कोशिश है मुबारकबाद आपको,
२रे शेर का ऊला मिसरा बह्र नें नहीं है,
कुछ अश्आर मज़ीद कसावट मांग रहे हैं,
१३वें दुमछल्ले में शुतुर ग़ुरबा है,
"ओपन बुक्स ऑन लाइन तरही मुशायरा शताब्दी समारोह"
कामयाब कोशिश के लिए पुन: बधाई
की शुभ शुभ
आ. भाई अफरोज जी, उपस्थिति,स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार ।
दूसरे शेर में टंकण के समय शब्द छूट गया है इसे यूँ पढ़े-
नभ में तारा सा वो उभार गया
आ. लक्ष्मण जी इस प्रयास हेतु बधाई,
आ. भाई शिज्जू जी, हार्दिक आभार ।
अच्छा प्रयास है भाई लक्ष्मण धामी जी.... सराहनीय !!!
आ. भाई अजीत जी, हार्दिक धन्यवाद ।
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब,
.दूसरी पेशकश और दुमछल्ले बहुत ही उम्दा । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।
आ. भाई आरिफ जी, हार्दिक आभार।
आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब गजल में दिल की बात को पिरोया है आपने मन खुश हो गया बधाई कुबूल कीजिए
आ. भाई छोटेलाल जी, हार्दिक धन्यवाद ।
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