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कोई और नहीं-- लघुकथा

उसकी उम्मीद अब छूटने लगी थी, लगभग आधा घंटा होने को आया था. कोई अपनी गाड़ी रोकने को तैयार नहीं था और पिताजी लगभग बेहोश सड़क के किनारे पड़े हुए थे. एकदम से सामने एक जानवर आया और उसको बचाने के चक्कर में बाइक असंतुलित होकर उलट गयी.
सड़क काफी खाली थी और शाम हो चली थी. तभी एक गाड़ी दूर से आती दिखी और वह उसे रोकने का प्रयास करने लगा. उस कार वाले ने गाड़ी रोकी, उतर कर उसके पास आया और तुरंत पिताजी को हाथ लगाकर अपने कार में डाला.
नजदीक के हस्पताल में पहुंचकर गाड़ी वाले ने इमरजेंसी तक पिताजी को पहुँचाया और वापस जाने के लिए मुड़ गया. उसने उसको धन्यवाद देते हुए उसका नाम पूछा तो उसने मना कर दिया. जाते जाते बस उसने इतना कहा "मेरे पिताजी को किसी ने भी ऐसी हालत में हस्पताल नहीं पहुँचाया था और मैं उनको बचा नहीं सका. बस और कोई ऐसे दम न तोड़े, इसका ध्यान रखना".

मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by विनय कुमार on September 14, 2018 at 12:02pm

बहुत बहुत आभार आ जवाहर लाल सिंह साहब, ऐसे लोगों पर ही दुनिया टिकी है

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 13, 2018 at 8:29pm

आदरणीय विनय कुमार जी, आपने सच्ची कथा लिख दी  है. जबकि भागदौड़ की इस जिन्दगी में कोई भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मदद करने की जहमत नहीं उठाना चाहता पर कुछ लोग तो ऐसे होते ही हैं... मानवता अभी भी जिन्दा है कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में! सादर!

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ बबिता गुप्ता जी

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ आशीष यादव साहब

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by Samar kabeer on September 9, 2018 at 8:01pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on September 8, 2018 at 10:46pm

सकारात्मक सोच के साथ मानवता अभी ज़िंदा हैं,का संदेश देती बेहतरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय विनय सरजी.

Comment by आशीष यादव on September 8, 2018 at 1:07pm

सँदेसपरक। झटके से दिल तक को छू लिया।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 7, 2018 at 7:57pm

बहुत ही समसामयिक मुद्दे पर सकारात्मक, प्रेरक व विचारोत्तेजक रचना हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब।

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