For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाशिये पर आपकी दस्तार है कुछ कीजिये (ग़ज़ल राज)

बेसबब बेसाख़्ता रफ़्तार है कुछ कीजिये 
लड़खड़ाती जिंदगी हर बार है कुछ कीजिये 

उठ रही हैं उँगलियाँ सब आपके घर की तरफ़ 
हाशिये पर आपकी दस्तार है कुछ कीजिये 

वक्त आते ही डसेगा एक दिन वो आपको 
आस्तीं में पल रहा मक्कार है कुछ कीजिये 

आपके घर की तरफ़ से आ रहे पत्थर सभी 
आपके घर में छुपा गद्दार है कुछ कीजिये 

इस तरह तो मुफ़्लिसी दम तोड़ देगी भूख से 
आसमां को छू रहा बाज़ार है कुछ कीजिये

हैं मुखालिफ़ कुछ हवायें हो रही कमजोर छत 
डगमगाती आपकी सरकार है कुछ कीजिये 

काम की मसरूफ़यत से घूमने जाते नहीं 
आज बच्चे कह रहे इतवार है कुछ कीजिये

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 956

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 16, 2018 at 10:07am

वाह शानदार गजल हुई है , बधाई आपको 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 13, 2018 at 5:58pm

क्या कहने आदरणीया बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2018 at 5:35pm

आद० गुरप्रीत जी ग़ज़ल पर सुख़न नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2018 at 5:34pm

आद० नीलम जी ग़ज़ल पर सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 13, 2018 at 4:16pm

आदरणीया राजेश जी ,, वाह , बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ,, सभी अशआर बढ़िया ,, मकता ख़ास तौर पर बहुत पसंद आया

Comment by Neelam Upadhyaya on July 13, 2018 at 3:50pm

 आदरणीया राजेशकुमारी जी, नमस्कार ।  बढ़िया  ग़ज़ल की पेशकश के लिए हार्दिक बधाई ।    


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:33pm

आद० लक्ष्मण धामी भैया आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:33pm

आद० श्याम नारायण जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:32pm

आद० मोहम्मद आरिफ जी आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2018 at 6:31pm

आद० अजय कुमार जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 - 1212 - 22/112 देखता हूँ कि अब नया क्या है  सोचता हूँ कि मुद्द्'आ क्या…"
50 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
57 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
1 hour ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service