For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं

122 122 122 122

******************

वो रंजिश में ताने दिए जा रहे हैं,
हैं अपने मगर मुझको तड़पा रहे हैं ।

.
सिफर हो चला हूँ मैं ख़्वाबों से खुद ही,
तभी गम के बादल बहुत छा रहे हैं ।

.

बसी दिल में उनकी वो तस्वीर ऐसी,
कि बनकर वो साये चले आ रहे हैं ।

.

सुना है कि मिलती दुआओं से मंज़िल,
नमाज़-ए-महब्बत पढ़े जा रहें हैं ।

.

मैं रोया हूँ इतना छुपा कर वो आँहें,
पुराने थे रिश्ते जो इतरा रहे हैं ।

*******

मौलिक व अप्रकाशित

-------हर्ष महाजन

Views: 707

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:14pm

आदरणीय मुझे हर्ष महाजन कहते हैं । आपकी टिप्पणी शायद आ० बसंत जी के लिए है  :)

आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी बारीकी से कृति पढ़ने  और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया ।

जी हां मिश्रा जी और भी बहुत से गीत हैं जिनपर ये गाया जा सकता है ।

सादर ।

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:06pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरनीय लक्ष्मण धामी साहब ।

Comment by Harash Mahajan on April 18, 2018 at 5:05pm

हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आदरनीय जनाब नवीन मनी जी ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 18, 2018 at 3:16pm

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे ..के तर्ज पर इसे गुनगुनाने में बड़ा आनंद आया इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय बसंत जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2018 at 1:46pm

बहुत सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 9:36pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई सर । हार्दिक बधाई ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 9:35pm
वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई सर । हार्दिक बधाई ।
Comment by Harash Mahajan on April 15, 2018 at 9:59am

आदरणीय समर जी आदाब ।

शुक्रिया ।

सादर ।

Comment by Samar kabeer on April 14, 2018 at 10:19pm

ठीक है ।

Comment by Harash Mahajan on April 14, 2018 at 9:40pm

आदरणीय बसंत जी आपकी आमद और पसंदगी के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service