For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पढ़ाते रहे

कभी पढ़ जो पाते

बच्चे का मन ।

 

आदर्शवाद ?

हुआ किताबी भाषा

धूल फाँकता ।

 

घर आँगन

सूना, मन उदास

बची है आस

 

.... मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on April 13, 2018 at 10:47am

आदरणीय समर कबीर जी, नमस्कार । आप सभी के मार्गदर्शन की आकांक्षी रहूँगी । आपका बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 13, 2018 at 10:45am

आदरणीय तसदीक अहमद जी, नमस्कार । यूं ही मार्गदर्शन की आकांक्षी रहूँगी । आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 13, 2018 at 10:44am

आदरणीय आरिफ़ जी, नमस्कार । आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए बहुमूल्य हैं और सदा ही उत्साह बढ़ती रहेंगी । यूं ही मार्गदर्शन की आकांक्षी रहूँगी । बहुत बहुत धन्यवाद।

पिछली पोस्ट पर प्रतिक्रिया नहीं दे पायी । एक तो, दो सप्ताह के लिए रिश्तेदारी निभाने जाना पड़ा । फिर आने के बाद कंधे के दर्द से परेशान रही । लंबे चले physiotherapy के बाद कुछ लिखने पढ़ने की मनःस्थिति में ही नहीं रह पायी । पीछे के काफी पोस्ट अभी तक नहीं पढ़ पायी हूँ । अब फिर से थोड़ा active होने का प्रयास कर रही हूँ । जल्द ही दफ्तर और के बीच समंजस्य बैठ जाएगा । बहुत बहुत आभार ।

Comment by Samar kabeer on April 13, 2018 at 9:48am

मोहतरमा नीलम उपाध्याय जी आदाब, अच्छे हाइकू लिखे,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 13, 2018 at 9:28am

मुहतर्मा नीलम साहिबा ,सुन्दर हाइकु हुए हैं ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Mohammed Arif on April 12, 2018 at 7:03pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आदाब,

                                    बहुत ही लाजवाब हाइकु । हर हाइकु अपने पिछले हाइकु से शैल्पिक दृष्टि से बेहतर है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

नोट :- आपने अपने पिछले हाइकु पोस्ट करके प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा , आख़िर क्यों ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service