For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ुस्ताख़ी मुआफ़ (लघुकथा)

मिर्ज़ा मासाब कई बार मांसाहार छोड़ने की नाक़ामयाब कोशिशें कर चुके थे।‌ लेकिन उनके घर में बेगम साहिबा के रिवाज़ के मुताबिक़ हर छोटी-बड़ी ख़ुशी के मौक़े पर या तो चिकन पकता या मछली। कभी छोटे या बड़े की जुगाड़ होती या बाज़ार के कबाबों की! मिर्ज़ा जी के शाकाहारी बनने के ख़्वाब इस बार भी चकनाचूर हो गये। रात के ख़ाने के वक़्त दस्तरख़्वान पर बकरे का लज़ीज़ गोश्त पहले से कोई बातचीत किये बिना ही पेश कर दिया गया।‌ उन्होंने बुरा सा मुंह बनाते हुए बेगम की तरफ़ देखा।


"ख़ुशी का मौक़ा था न! आज मकान के लिए प्लॉट की रजिस्ट्री जो हुई!" कुछ इस नज़ाकत से बेगम साहिबा ने कहा कि मिर्ज़ा मासाब इस बार भी अपनी क़सम तोड़ कर ग़ोश्त खा ही लें।


"उस बेचारे को हिरन के शिकार पर जेल की सज़ा हो गई और आपको ये सब सूझ रहा है!" टेलीविजन चैनल पर समाचार तेज़ आवाज़ में सुनते-सुनाते मिर्ज़ा जी ने ग़ोश्त की कुछ बोटियां दूसरी प्लेट में सरकाते हुए कहा।


"ग़ुस्ताख़ी मुआफ़ हो हुज़ूर! घर में किसी ख़ुशी के मौक़े पर थोड़ा बहुत तो ख़ुशी से खा लिया करिये!" बेगम साहिबा ने प्लेट उठाते हुए कहा- "दिल छोटा मत करिए। आप को भी कभी शिकार का ग़ज़ब का शौक हुआ करता था। ये तो छिछोरे शौक़ीन शिकारी हैं, आप जैसे नहीं!"


मिर्ज़ा मासाब ख़ुश होने के बजाय एहसास-ए-कमतरी के साथ दस्तरख़्वान छोड़ कर टेलीविजन पर समाचार का कवरेज देखने लगे।


"इन का एहसास-ए-बरतरी है या ग़ुरूर-ए बरतरी!" कुछ यूं ही बड़बड़ाते हुए फिर वे दूसरे कमरे में चले गए।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 11, 2018 at 4:24am

मेरी इस रचना पर बहुत बढ़िया टिप्पणी के साथ हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप जी।

Comment by नाथ सोनांचली on April 10, 2018 at 8:33pm

आद0 शेख शहज़ाद उसमनी साहब सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा, और समसामयिक घटना के परिपेक्ष्य में और बेहतर हो गयी है। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 9, 2018 at 3:06am

मेरी इस रचना पर समय देकर अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब और मुहतरमा नीता कसार जी। कठिन शब्दों के अर्थ इसलिए नहीं दिये थे क्योंकि मुझे लगा कि ये तो बोलचाल के ही हैं। वैसे टिप्पणी में गूगल से साभार अर्थ की साइट लिंक अब संलग्न है यहां। सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 9, 2018 at 3:01am
Comment by Nita Kasar on April 8, 2018 at 3:26pm

उर्दू के कठिन शब्दों ने कथा समझने में परेशानी पैदा की है,पाठक मन शब्दों के मकडजाल में ना उलझकर सामान्य शब्दों को आसानी से समझ पाता है ।एहसास ए बरतनी है या ग़ुरूर ए बरतनी ।ऊपर से निकल गया ।फ़िलहाल कथा के लिये बधाई आद० शेख़ शाहजाद उस्मानी जी ।

Comment by Samar kabeer on April 7, 2018 at 2:25pm

जनाब शैख़ शहज़ाद यस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
55 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service