For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर ....

नहीं जला
चूल्हा
उसके घर
आज फिर

घर से निकला
उदासी में लिपटा
काम की तलाश में
एक साया
आज फिर

लौट आया
रोज की तरह
खाली हाथ
आज फिर

पेट में
क्षुधा की ज्वाला
सड़क पर
काम की ज्वाला
नौकरियों में
आरक्षण की ज्वाला
ज्ञान गौण
प्रश्न मौन
उलझन ही उलझन
माथे पर
चिंताओं को समेंटे
यथार्थ से निराकृत
खाली हाथ
लौट आया
आज फिर

पत्नी की आँखों में
सवाल
बच्चों की आँखों में
सवाल
माँ की आँखों में
बस
अपने बच्चे की
उबलती

बेबसी
जो
बह निकली
रोज की तरह
आज
फि........ र

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 13, 2018 at 6:34pm

आदरणीय बृजेश जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 13, 2018 at 6:33pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब, आदाब। ... सृजन के भावों को आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 13, 2018 at 6:33pm


आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब , प्रस्तुति आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से उपकृत हुई , हार्दिक आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 13, 2018 at 6:32pm

बेहतरीन बेहतरीन..शानदार भाव चित्रण किया है आदरणीय..

Comment by Sushil Sarna on April 13, 2018 at 6:32pm

आदरणीय  Shyam Narain Verma  जी सृजन के भावों को  सहमति देती प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 13, 2018 at 6:31pm

आदरणीय Nilesh Shevgaonkar जी सृजन के भावों को आत्मीय सहमति देती प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 11, 2018 at 6:27pm

जनाब सुशील सरना साहिब ,हालाते हाज़रा पर बहुत ही सुन्दर कविता हुई है ,मुबारक बाद क़ुबूल फरमायें।

Comment by Samar kabeer on April 11, 2018 at 6:01pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,आज के हालात पर मार्मिक कविता,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Shyam Narain Verma on April 11, 2018 at 1:32pm

इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई | सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 11, 2018 at 7:36am

आ. सुशिल जी,
अच्छी कविता हुई  है जिसके लिये आप बधाई के पात्र हैं,
आपका पात्र रोज़ काम खोजने जा  है और नौकरी में आरक्षण सिर्फ सरकारी नौकरी तक सिमित है .. जो एक दिन में आरक्षण वाले को भी नहीं मिलती ..
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service