For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हौसलों की बैसाखी से
हर मंज़िल को पार किया है
दया-सहानुभूति को
हरदम दर किनार किया है
जब-जब घिरे बादल विपत्ति के
बिजलियाँ चमकीं विचलन की
ख़ुद को मैंने धारदार किया है
बाधाओं को परास्त करता गया
बीज सफलता के बोता गया
भय के काँटों को लाचार किया है
गिरा नहीं , लड़खड़ाया नहीं
इरादा कभी मेरा डगमगाया नहीं
जीवन सुनामी को पार किया है
किया सदैव साहस का आलिंगन
धैर्य का उपवन सजाया है
संघर्षों का मैंने श्रृंगार किया है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on February 2, 2018 at 10:31pm

बहुत -बहुत आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 9:57pm

बड़ी ही अच्छी और सार्थक कविता हुई आदरणीय आरिफ जी..सादर

Comment by Mohammed Arif on February 2, 2018 at 8:24am

रचना पर दो-दो प्रतिक्रिया देकर मान बढ़ाने और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।

Comment by Mohammed Arif on February 2, 2018 at 8:22am

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । 

Comment by Mohammed Arif on February 2, 2018 at 8:21am

हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब । आपकी इस्लाह सर आँखों पे ।

Comment by vijay nikore on February 1, 2018 at 10:10pm

//हौसलों की बैसाखी से
हर मंज़िल को पार किया है//

यह भाव बहुत ही छू गया। आपकी कविताओं में आकृषण है... । प्रतिक्रिया दे चुका था, सोचा यह भी कह दूँ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 1, 2018 at 8:58pm

मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आदाब , बहुत ही सुन्दर कविता हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by vijay nikore on February 1, 2018 at 3:03pm

अति सुन्दर रचना..आन्नद आ गया। हार्दिक बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Samar kabeer on February 1, 2018 at 2:41pm

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,बहुत उम्दा कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

छटी पंक्ति में 'चमकी' को "चमकीं" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service