For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं - कालीपद 'प्रसाद'

सूरते जान जो'रौनक वो, कही' नूर नहीं 

यह अलग बात है दुनिया में' वो मशहूर नहीं 

प्यार करता हूँ’ मैं’ पागल की’ तरह पर क्या’ करूँ

हर समय प्यार जताना उसे’ मंज़ूर नहीं |

सांसदों में अभी’ दागी हैं’ बहुत से नेता

दाग धोना बड़ा’ दू:साध्य है’, नासूर नहीं |

चाह ऐसी कि सज़ा सबको’ मिले जो दोषी

पर सज़ा सबको’ मिले ऐसा’ भी’ दस्तूर नहीं |

लोक सरकार अभी, राज है’ जनता का यह

हैं सभी स्वामी’ यहाँ ,कोई’ भी’ मजदूर नहीं |

देखने में तो'' महरबां लगे सारे  नेता

किन्तु दिल से तो' को’ई भी कभी' अक्रूर नहीं |

थाम कर स्वांस प्रतीक्षा की’ है’ अच्छे दिन का

की है’ जो कोशिशें’ लगता है’ वो’ दिन दूर नहीं |

बन सितारा यहीं ‘काली’ कि गगन नाप लिया

आफताबी है’ चमक पर  कभी मगरूर नहीं  |

‘अक्रूर= दयाबान, कृपालु

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:36pm

ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ लक्षण धामी जी 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:35pm

ग़ज़ल पर शिरकत करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ नवीन मणि जी 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 21, 2017 at 8:33pm

हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया आ सतविंदर कुमार जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 11:33pm

हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on December 20, 2017 at 2:04pm

वाह बहुत खूब । आ0 समर साहब की इस्लाह कीमती है । 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:27pm

आद कालीपद प्रसाद मंडलजी  हार्दिक बधाई स्वीकारें इस गजल के लिए 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 8:04pm

आ सलीम रज़ा रेवा साहिब ,आदाब , ग़ज़ल पर शिरकत करने और हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 8:01pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब , आदाब  आपने मेरा काम आसान कर दिया | पता नही" नूर " शब्द मेरे दिमाग में आया क्यों नहीं | आपके सुझाव पर विचार करता हूँ | इस्लाह के लिए तहे दिल से शुक्रिया | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 7:55pm

आदरणीय समीर कबीर साहिब , आदाब ,ग़ज़ल को गहराई से विश्लेषण करने और रचनात्मक सुझाव देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया | वैसे मतले में मुझे भी संदेह था पर उपयुक्त शब्द नहीं मिल रहा था | फिर कोशिश करता हूँ | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 19, 2017 at 7:46pm

आ मोहम्मद आरिफ जी आदाब  ग़ज़ल पर शिरकत करने और हौसला अफजाई करने लिए तहे दिल से शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service