For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी तुझ पर ये दिल भी, कर गया कुर्बान क्यों?

बेखब़र क्यों हो गया तू?   हो  गया  अनजान  क्यों?
ज़िंदगी तुझ पर ये दिल भी, कर गया कुरबान क्यों?

बेबसी  कुछ  भी  नहीं  थी,  जिंदगी  के   दरमियाँ,
चार दिन का बन गया फिर, तू मिरा महमान क्यों?

पूछती   है  हाल  अब  तो,  मुझसे'  मेरी  रहगुज़र,
हो  गई  है,  आजकल  ये,  ज़िन्दगी  वीरान क्यों?

बोझ सी  लगने  लगी  है,  जिंदगी  कुछ  रोज़  से,
कोई' ऐसा मुझ पे' जाने, कर  गया  अहसान क्यों?

बन  गई  गुरबत  भी दुश्मन, ज़िन्दगी की राह में,
ख्वाहिशें क्यों मिट गईं हैं? लुट गये अरमान क्यों?

'दीप' को बदले  वफ़ा  के,  मिल  रहीं  तन्हाईयाँ,
जिंदगी हर मोड़ पर अब, लग रही सुनसान क्यों?

-प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 550

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 5, 2017 at 3:53pm

हार्दिक बधाई ।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 12:23pm
आदरणीय पाण्डेय जी, इस रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें।
Comment by Mohammed Arif on December 2, 2017 at 12:53pm
आदरणीय प्रदीप कुमार जी आदाब,
बहुत ही बेहतरन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें । आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बेशक़ीमती इस्लाह का संज्ञान लें ।
Comment by Samar kabeer on December 2, 2017 at 12:08pm
जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय'दीप'जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
इस मंच पर ग़ज़ल के साथ अरकान लिखने का नियम है,जो आपने नहीं लिखे?

'पूछता है हाल अब तो मुझसे'मेरा रहगुज़र'
इस मिसरे में 'रहगुज़र'शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये इस मिसरे को यूँ कर लें :-
'पूछती है हाल अब तो मुझसे मेरी रहगुज़र'

'दीप'तन्हाई मयस्सर,हो रही बदल-ए; वफ़ा'
उस मिसरे में 'बदल'शब्द में इज़ाफ़त नहीं लगेगी,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
''दीप'बदले में वफ़ा के मिल रहीं तन्हाईयाँ'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
47 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
51 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
53 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
53 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
53 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
55 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
58 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service